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बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण दिवस पर अर्पित किए श्रद्धासुमन

दलित एकता सम्मेलन अम्बेडकर भवन पंचकुईंया रोड में आयोजित किया गया। इसमें दिल्ली के हजारों दलित कार्यकर्ताओं ने भाग लिया

बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण दिवस पर अर्पित किए श्रद्धासुमन
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नई दिल्ली। राजधानी में भारत रत्न, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर दिल्ली विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, स्पीकर रामनिवास गोयल ने पुष्पांजलि अर्पित की तो वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।

दलित एकता सम्मेलन अम्बेडकर भवन पंचकुईंया रोड में आयोजित किया गया। इसमें दिल्ली के हजारों दलित कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संयोजन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव तरुण कुमार ने किया। कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन सहित सभी नेताओं ने डा. अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौ. प्रेम सिंह, पूर्व सांसद महाबल मिश्रा, चत्तर सिंह सहित कई नेता मौजूद थे। कांग्रेस नेताओं ने कार्यक्रम में भाजपा व आम आदमी पार्टी को दलित विरोधी करार दिया और कुमार विश्वास पर भी हमले बोले।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि बाबा साहेब ने जाति व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन से पूरे साम्राज्यवादी व्यवस्था का भी विरोध किया। बाबा साहेब ने अपने लेखन में ब्रिटिश हुकूमत के शोषणवादी चेहरे का पर्दाफाश किया। ब्रिटिश हुकूमत के विरोध के साथ-साथ बाबा साहेब ने भारतीय समाज के अन्दर स्थापित भेदभाव की व्यवस्था का विरोध किया था क्योंकि उनका मानना था कि एक बंटा हुआ समाज बेहतर राष्ट्र एवं लोकतंत्र का निर्माण नहीं करता। चूंकि जाति समाज को बांटती है इसलिए इस व्यवस्था को बाबा साहेब मिटाना चाहते थे।

समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र गौतम ने संसद भवन परिसर में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की 62वीं पुण्यस्मृति पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और साथ ही रानी झाँसी रोड स्थित अम्बेडकर भवन पर बाबासाहेब के अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित की। समाज निर्माण में बाबासाहेब के अमूल्य योगदान के लिए उन्हें नमन करते हुए आम जनता को संबोधित करते हुए कहा कि इस देश के दलित कभी मेहनत करने में किसी से पीछे नही रहे, चाहे वह कपड़ा बुनना हो, घर बनना हो, चर्मोद्योग हो, खेतिहरी हो या श्मशान स्वच्छता हो। हम मूलनिवासी होते हुए भी आज आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णत: वंचित हैं। ऐसा नही है कि हम काबिल नही हैं, हमें अवसर नही दिए जाते। बाबासाहेब ने तब हमारी समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हमें संविधान के ज़रिए आरक्षण का हक़ दिया। यदि आज आरक्षण नही होता तो जातिप्रथा व वर्णव्यवस्था के तहत हम अब भी उसी भेदभाव में ग्रस्त होते जो सदियों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कठोर तपस्या तथा संघर्ष किया ताकि हम मुख्यधारा में आ सकें ।


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