किसके हाथ में खेल रहे हैं प्रकाश अंबेडकर
आसन्न 2019 के चुनाव में जहां सारे विपक्षी दल एक मंच पर आने की कोशिश कर रहे हैं

भारत शर्मा
नई दिल्ली। आसन्न 2019 के चुनाव में जहां सारे विपक्षी दल एक मंच पर आने की कोशिश कर रहे हैं, बाबा साहेब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर महाराष्ट्र के अजीत जोगी बनने जा रहे हैं। उन्होंने औवेसी का पार्टी एआईएमआईएम के अलावा पिछड़ा वर्ग की कुछ जातीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर लिया है। इसके साथ तमाम वे राजनैतिक पार्टियां हैं, जिनके पास बड़ा जनाधार नहीं है, पर वोटों के विभाजन का सीधा फायदा सत्ताधारी दल को मिलेगा।
मोदी सरकार के आने के बाद से दलितों पर बढ़े हमलों तमाम दलित संगठन एक साथ आए। इन्हीं आंदोलन के दौरान गुजरात से जिग्नेश मेवानी और उत्तर प्रदेश से चंद्रशेखर जैसे नेता उभरकर आए। साल 2018 मे भीमा कारेगांव में हुई हिंसा के बाद पूरे देश में दलितों में नाराजगी फैला, तमाम प्रगतिशील नेताओं पर मुकदमे दर्ज हुए।
इस आंदोलन के बाद प्रकाश अंबेडकर की स्वीकार्यता भी बढ़ी। राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार के खिलाफ मुद्दों को लेकर जो एकजुटता बन रही थी, प्रकाश अंबेडकर उसकी एक धुरी के रुप में सामने आए।
देश में जबकि दलित, आदिवासियों और पिछड़ों में मोदी सरकार के खिलाफ जहां नाराजगी बढ़ रही है, यह माना जा रहा था, कि वे मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन को एकजुट करने का काम करेंगे, पर वे चुनावी राजनीति में लग गए।
छत्तीसगढ़ चुनाव में भी उनका झुकाव अजीत जोगी की तरफ था, चुनाव के दौरान वे उनके साथ रहे थे। जानकार बताते हैं, कि प्रकाश अंबेडकर कांग्रेस राकांपा गठबंधन से महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 12 सीट मांग रहे थे, गठबंधन उन्हें 4 सीट तक देने को तैयार था।
भाजपा और शिवसेना के गठबंधृन के खिलाफ कांग्रेस-एनसीपी ने अन्य दलों को साथ लेने की कोशिश की है। महाराष्ट्र नवनिर्वाण सेना कांग्रेस के साथ जाना चाहती है, फिलहाल उस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। गठबंधन को लेकर एनसीपी की अन्य दलों से चर्चा चल रही है, गठबंधन का पूरा स्वरुप जल्दी सामने आएगा।


