आजम खान का विवादित बयान मामला संविधान पीठ को सौंपा गया
उच्चतम न्यायालय ने बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार पर समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के विवादित बयान से जुड़ा मामला आज संविधान पीठ को सौंप दिया
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार पर समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के विवादित बयान से जुड़ा मामला आज संविधान पीठ को सौंप दिया, जो यह तय करेगी कि क्या मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को ऐसे आपराधिक मामलों में बयान देने से रोका जा सकता है, जिनमें जांच जारी है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरीश साल्वे और फली एस नरीमन ने जो सवाल उठाये हैं, उन पर संविधान पीठ को विचार करने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दुरूपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि लोग बिना तथ्यों की पड़ताल किये अदालती कार्यवाहियों के बारे में गलत जानकारी फैलाते हैं।
अदालत के न्यायमित्र के तौर पर सहयोग कर रहे श्री नरीमन ने पीठ की राय पर सहमति जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं और खराब भाषा की भरमार है और उन्होंने ऐसी सूचनाओं को देखना ही बंद कर दिया है। साल्वे ने भी इन्हीं कारणों से अपना ट्वीटर अकाउंट बंद करने की बात कही। न्यायालय में बुलंदशहर की कथित सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता मां-बेटी के परिवार के सदस्य की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी।
यह घटना पिछले वर्ष 29 जुलाई को बुलंदशहर के निकट राजमार्ग पर हुई थी।याचिकाकर्ता ने मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी। खान ने विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने घटना को ‘राजनीतिक साजिश’ बताया था।


