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दिल्ली की रामलीला को अयोध्या शोध संस्थान ने माना सबसे बेहतर

दिल्ली की एक रामलीला ऐसी है जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में ख्याति अर्जित कर रही है

दिल्ली की रामलीला को अयोध्या शोध संस्थान ने माना सबसे बेहतर
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नई दिल्ली। दिल्ली की एक रामलीला ऐसी है जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में ख्याति अर्जित कर रही है। 'श्रीराम भारतीय कला केंद्र' (एसबीकेके) में होने वाली यह रामलीला 'श्री राम' 1957 में शुरू हुई थी। इसे अयोध्या शोध संस्थान ने रामायण का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन माना है।

इसे राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान अयोध्या में प्रदर्शन करने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। इस शो का प्रदर्शन दुनियाभर के 35 देशों में किया जा चुका है। यहां भरतनाट्यम और कलारीपयट्टू, मयूरभंज छऊ और उत्तर भारत के लोक नृत्यों की नृत्य शैलियों के साथ-साथ हिंदुस्तानी शास्त्रीय रागों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। अमूमन भारत के प्रत्येक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से इसने प्रशंसा अर्जित की है।

'श्री राम’ की निर्देशक पद्मश्री शोभा दीपक सिंह कहती हैं, 'श्री राम' केवल रामायण का पुनर्कथन नहीं हैं। यह एक शैक्षिक उपकरण है, पीढ़ियों के बीच एक सामान्य संबंध और नृत्य, कविता, और डिजाइन में भारतीय प्रतिभा का सम्‍मान है। हर वर्ष यह देखना संतोषजनक होता है कि कैसे दर्शक इस कथा का हिस्सा बनते हैं, प्राचीन शिक्षाओं को आधुनिक प्रासंगिकता के साथ जोड़ते हैं। 1957 में अपनी शुरुआत के बाद से, इसके प्रदर्शन ने 10 लाख से अधिक दर्शकों को आकर्षित किया है।

'श्री राम' का विचार एसबीकेके की संस्थापक, सुमित्रा चरत राम ने किया था, जिनकी सांस्कृतिक यात्रा और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों ने इसकी प्रस्तुति के लिए उन्हें प्रेरित किया। इस मंचन में भारत के साथ-साथ एशिया और यूरोप के कलाकार भी रामलीला के विभिन्न किरदारों को निभाते रहे हैं। भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और मूल्यों की एक विरासत प्रारंभ में राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' के योगदान से समृद्ध, गुरु गोपीनाथ, नरेंद्र शर्मा जैसे किंवदंतियों द्वारा कोरियोग्राफ और डागर ब्रदर द्वारा संगीत के साथ, यह प्रोडक्शन ताजगी से रिकॉर्ड किए गए संगीत, गीत और इंटरैक्टिव तत्वों से विकसित हुआ है।

यहां भगवान राम के जन्म से लेकर उनके राज्याभिषेक तक, रामायण के कालातीत महाकाव्य को 2 घंटे और 15 मिनट में दिखाया जा रहा है। श्रीराम भारतीय कला केंद्र की चेयरपर्सन शोभा दीपक सिंह के मुताबिक यह इस रामलीला का 68वां एडिशन हैं।

उनका कहना है कि उन्होंने सोचा था कि रामलीला को हर दिन पूरी कहानी के साथ दर्शकों के बीच रखा जाए। इससे दर्शकों को रामायण और रामलीला से जुड़ी पूरी जानकारी दी जा सकेगी। यह रामलीला रामायण की कई घटनाओं, उनके घटने के कारण और महत्व को गहराई से बताती है। यहां मंचन के दौरान बताया जा रहा है कि कैकेयी ने राम को वनवास क्यों भेजा, अहिल्या क्यों और कैसे पत्थर की हो गई, रावण ने क्यों माता सीता का हरण किया।

इस रामलीला का इतिहास भी बेहद खास रहा है। वर्षों तक वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी रामलीला में आते रहे। रामलीला के शुरुआती दिनों में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व उनके उपरांत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समेत कई शख्सियतें यहां रामलीला देखने आया आया करती थीं।


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