अयोध्या मामले की सुनवाई टली
सर्वोच्च न्यायालय ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई आज आठ फरवरी तक के लिए टाल दी

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई आज आठ फरवरी तक के लिए टाल दी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित पक्षों के एडवोकेट ऑन रिकार्ड को निर्देश दिया कि वे सभी दस्तावेजों के अनुवाद और उन्हें संलग्न किए जाने और सभी को उन्हें उपलब्ध कराए जाने के बारे में संयुक्त ज्ञापन प्रस्तुत करें। अपीलकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन और कपिल सिब्बल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि इस मामले को संविधान पीठ के सुपुर्द किया जाए। मामले के एक पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील सिब्बल ने देश में मौजूदा माहौल अनुकूल न होने का दावा करते हुए मामले की अगली सुनवाई 2019 के आम चुनाव के बाद जुलाई में करने की अपील की। शीर्ष न्यायालय इस मामले में इलाहबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विभिन्न पक्षों द्वारा दायर अपीलों की सुनवाई कर रहा है।
इलाहबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या में विवादिद भूमि को तीन हिस्सों में बांटते हुए इनका मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान तथा निर्मोही अखाड़े को दिया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने मांग की है कि मामले की सुनवाई 5 या 7 जजों बेंच को 2019 के आम चुनाव के बाद करनी चाहिए। क्योंकि मामला राजनीतिक हो चुका है। सिब्बल ने कहा कि रिकॉर्ड में दस्तावेज अधूरे हैं। कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने इसको लेकर आपत्ति जताते हुए सुनवाई का बहिष्कार करने की बात कही है। कपिल सिब्बल ने कहा कि राम मंदिर एनडीए के एजेंडे में है, उनके घोषणा पत्र का हिस्सा है इसलिए 2019 के बाद ही इसको लेकर सुनवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2019 जुलाई तक सुनवाई को टाला जाना चाहिए।
उप्र सरकार ने भी रका अपना पक्ष
इसके जवाब में उप्र सरकार की ओर से पेश हो रहे तुषार मेहता ने कहा कि जब दस्तावेज सुन्नी वक्फ बोर्ड के ही हैं तो अनुवादित प्रतिलिपि देने की जरूरत क्यों हैं? शीर्ष अदालत इस मामले में निर्णायक सुनवाई कर रही है। मामले की रोजाना सुनवाई पर भी फैसला होना है। मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि अगर सोमवार से शुक्रवार भी मामले की सुनवाई होती है, तो भी मामले में एक साल लगेगा। रामलला का पक्ष रख रहे हरीश साल्वे ने न्यायालय में बड़ी बेंच बनाने का विरोध किया और कहा कि बेंच को कोर्ट के बाहर चल रही राजनीति पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
बाबरी विध्वंस की 25वीं बरसी पर अयोध्या में हाई अलर्ट
भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही राम की नगरी अयोध्या लगातार सुर्खियों में है। विवादित राम जन्म भूमि को लेकर एक तरफ जहां मंगलवार से सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी, वहीं दूसरी ओर बाबरी विध्वंस की 25वीं बरसी के मद्देनजर प्रशासन हाई अलर्ट पर है।
सांप्रदायिक सद्भाव न बिगड़ने दें : केन्द्र
केन्द्र ने अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने की कल 25 वीं बरसी के मद्देनजर राज्य सरकारों से शांति तथा सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखने के लिए सभी एहतियाती उपाय करने को कहा है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि विवादित ढांचे को गिराए जाने की बरसी पर दोनों समुदायों के कुछ संगठनों द्वारा धरने, प्रदर्शन के साथ-साथ सरकार को ज्ञापन देने के लिए लोगों को एकत्र किया जा सकता है।


