Top
Begin typing your search above and press return to search.

अल जवाहिरी, आतंक के शिखर से फिसल गया एक खूंखार जिहादी

अल जवाहिरी मारा गया. बिन लादेन का दोस्त होने से पहले वह एक खूंखार इस्लामिक जिहादी का दर्जा हासिल कर चुका था.

अल जवाहिरी, आतंक के शिखर से फिसल गया एक खूंखार जिहादी
X

दुनिया का सबसे दुर्दांत आतंकवादी कहे जाने वाले ओसामा बिन लादेन के बाद अल कायदा की कमान संभालने वाला अयमान अल जवाहिरी मारा गया है. 71 वर्षीय जवाहिरी को अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक ड्रोन हमले में मार गिराया. जवाहिरी अल कायदा के प्रमुख के रूप में उतना प्रभावशाली नहीं रहा जितनी उसकी ताजपोशी के वक्त संभावना जताई गई थी. इस्लामिक स्टेट (आईएस) के रूप में अल कायदा को मिली प्रतिद्वन्द्विता ने जवाहिरी और अल कायदा का कद काफी छोटा कर दिया था.

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 2011 में अरब जगत में हुईं कथित क्रांतियों ने अल कायदा के प्रभाव को कम करने में कुछ भूमिका निभाई क्योंकि अरब देशों के मध्यमवर्गीय कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने जब दशकों से जारी तानाशाही का विरोध करना शुरू किया तो अल कायदा जैसे संगठनों को जरा भी तवज्जो नहीं दी.

ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल कायदा वैसे ही कमजोर हो गया था और जवाहिरी के करीबी सहयोगी रहे कई बड़े नेता एक एक करके अमेरिकी हमलों में लगातार मारे जाते रहे. इससे मिस्र से आए इस उग्रवादी शख्स की नेतृत्व और रणनीतिक क्षमताओं पर भी सवाल उठने शुरू हो गए थे.

लेकिन यह बदलाव लादेन के जाने के बाद का है. उससे पहले जवाहिरी का रुतबा कहीं ऊंचा था. काफी लोग मानते हैं कि जवाहिरी एक सख्त और लड़ाका इंसान था लेकिन यह उसकी रणनीतिक और लचीली सोच का ही परिणाम था कि अल कायदा ने दुनिया के कई मुल्कों में छोटे छोटे संगठन तैयार किए और उनके जरिए एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका में ना सिर्फ आतंकी हमले करवाए बल्कि बड़े राजनीतिक बदलावों को भी जन्म दिया. लेकिन अरब क्रांति ने उन सभी छोटे संगठनों को कमजोर किया.

अल कायदा के उभार की सबसे बड़ी वजह 11 सितंबर का न्यूयॉर्क हमला था जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रची गई साजिश ने उसके कद और नेटवर्क के विस्तार को प्रमुखता से उजागर किया. लेकिन 2001 में हुए उस हमले के बाद अल कायदा फिर से स्थानीय स्तर पर सिमटने लगा और जल्दी ही उसका दायरा और प्रभाव अफगानिस्तान तक सीमित हो गया.

कौन था डॉक्टर अल जवाहिरी?

अल जवाहिरी अचानक बना आतंकवादी नहीं था. इस्लामिक उग्रवाद में उसका काम दशकों पुराना था. पहली बार अल जवाहिरी का नाम दुनिया ने 1981 में सुना था जब वह मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल-सादत की हत्या के आरोप में एक अदालत में खड़ा चिल्ला रहा था. सफेद चोगा पहने जवाहिरी ने तब चिल्लाकर कहा था, "हमने कुर्बानी दी है और हम तब तक कुर्बानियां देने को तैयार हैं जब तक कि इस्लाम की जीत नहीं हो जाती.”

जवाहिरी को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया लेकिन अवैध हथियार रखने के मामले में उसे तीन साल की कैद हुई. प्रशिक्षित सर्जन जवाहिरी को लोग डॉक्टर जवाहिरी के रूप में भी जानते थे. सजा काटने के बाद वह पाकिस्तान चला गया और वहां बतौर डॉक्टर उन अफगान लड़ाकों का इलाज करने लगा जो सोवियत रूस के खिलाफ लड़ रहे थे. उसी दौरान उसकी दोस्ती बिन लादेन के साथ हुई. ओसामा बिन लादेन एक धनी जिहादी था जो अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बन गया था.

इस्लामिक जिहाद की शुरुआत

1993 में जवाहिरी ने मिस्र में इस्लामिक जिहाद की कमान संभाली. 1990 के दशक में वह उस दुनिया का एक बहुत बड़ा नाम बन गया था. मिस्र की लोकतांत्रिक सरकार को गिराकर इस्लामिक राज स्थापित करने के उस अभियान में 1,200 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे.

जून 1995 में मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक पर अदीस अबाबा में जानलेवा हमला हुआ. उस हमले के बाद मिस्र की सरकार ने इस्लामिक जिहाद पर सख्ती बढ़ाई और उसे खत्म करने का काम शुरू कर दिया. जवाहिरी ने इसका बदला लेने के लिए इस्लामाबाद स्थित मिस्र के दूतावास पर हमले का आदेश दिया. बारूद से भरी दो कारों ने दूतावास के दरवाजे पर टक्कर मार दी और धमाका हुआ जिसमें 16 लोग मारे गए.

इस मामले में जवाहिरी पर मिस्र में मुकदमा चला और उसकी गैर मौजूदगी में 1999 में उसे मौत की सजा सुनाई गई. लेकिन तब तक वह अल कायदा की स्थापना में बिन लादेन की मदद कर एक अलग मुकाम पर पहुंच चुका था. 2003 में अल जजीरा ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उन दोनों को एक पथरीले पहाड़ी रास्ते पर सैर करते देखा गया. उस वीडियो ने अल जवाहिरी को दुनियाभर में स्थापित कर दिया.

गुमनामी की ओर

सालों तक यह माना जाता रहा कि अल जवाहिरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में छिपा हुआ है. 2011 में बिन लादेन के मारे जाने के बाद उसने अल कायदा की कमान संभाली तब से कई बार उसने वीडियो जारी कर इस्लामिक जिहाद को बढ़ाने और फैलाने का संदेश दिया.

अपने दोस्त बिन लादेन को श्रद्धांजलि में उसने वादा किया था कि वह पश्चिमी देशों के खिलाफ और बड़े आतंकी हमले करेगा. उसने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी कि "जब तक तुम मुसलमानों की जमीन को छोड़ नहीं देते, तुम सुरक्षित होने का सपना भी नहीं देख पाओगे.”

लेकिन 2014 में इस्लामिक स्टेट के उभार ने अल जवाहिरी का कद छोटा कर दिया. इराक और सीरिया में पनपा आईएस अल कायदा से कहीं ज्यादा खूंखार और खतरनाक बनकर उभरा और पश्चिमी देशों समेत तमाम दुनिया के आतंकवाद विरोधियों का ध्यान उस पर टिक गया. इसका नतीजा यह हुआ कि जवाहिरी धीरे धीरे अप्रासंगिक होने लगा. उसने कई बार इस्लामिक जिहादियों को आकर्षित करने के लिए वीडियो संदेश जारी किए. अमेरिका की नीतियों पर टिप्पणियां भी कीं. लेकिन उसके संदेशों में वो करिश्मा नहीं था जो ओसामा बिन लादेन के संदेशों में था.

धीरे-धीरे लोग जवाहिरी को भूलने लगे. और सोमवार (1 अगस्त) को जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान किया कि अल जवाहिरी मारा गया, तब महीनों बाद अल जवाहिरी का नाम सुर्खियों में आया, जो शायद आखिरी बार होगा.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it