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लीज डीड की शर्तों का हवाला देकर प्रबंधन को घेरने की तैयारी में प्राधिकरण

विषाक्त भोजन के मामले में स्कूल प्रबंधन को घेरने की तैयारी की जा रही है

लीज डीड की शर्तों का हवाला देकर प्रबंधन को घेरने की तैयारी में प्राधिकरण
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नोएडा। विषाक्त भोजन के मामले में स्कूल प्रबंधन को घेरने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्राधिकरण ने लीज डीड की शर्तों को खंगालने का काम शुरू कर दिया है। जरूरत पड़ने पर प्राधिकरण स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर सकता है।

प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि यदि किसी अभिभावक द्वारा कोई भी शिकायत आती है तो कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। जाहिर है यह कार्यवाही सिर्फ स्टेप बाइ स्टेप स्कूल पर ही नहीं बल्कि इसकी जद में वह सभी स्कूल होंगे। जिनको रियायती दरों पर किसानों की जमीन स्कूल बनाने के लिए दी गई थी। शहर में बने अधिकांश स्कूल 2003 के पहले के है। इन स्कूलों को किसानों की जमीन पर बनाया गया है।

किसानों से जमीन अधिग्रहीत कर स्कूलों को रियाती दरों पर दी गई थी। यही नहीं प्राधिकरण द्वारा लीज डीड की शर्तों भी रखी गई थी। इसके तहत पहले किसानों के बच्चों को दाखिले के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया गया था। लेकिन बाद में संसोधन कर इसे 20 प्रतिशत आरक्षण कर दिया गया। यही नहीं पात्र किसानों के दो बच्चों को स्कूल में दाखिला देने पर फीस में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

यह दाखिला जिला अधिकारी की संतुती पर किए जाएंगे। किसान 2003 से लगातार विरोध इस बात पर करते आ रहे है कि निजि स्कूलों द्वारा उनके बच्चों को दाखिला व लीज डीड की शर्तो का उल्लंघन किया जा रहा है। प्राधिकरण भी इस मामले में कई बार स्कूलों को नोटिस जारी कर चुका है। लेकिन स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी पर अमादा है। दरअसल, इसकी एक वजह प्राधिकरण की लापरवाही ही है।

इस तरह की कोई भी घटना के बाद भी प्रशासन से लेकर प्राधिकरण सजक होता है। और बार बार लीज डीड का हवाला दिया जाता है। प्राधिकरण की 190वीं बोर्ड बैठक में लीज डीड की शर्तो में कई संसोधन भी किए गए थे। यह भी साफ था कि जिन स्कूलों को रियायती दर पर जमीन दी गई है। वह लीज डीड की शर्तों को एक बोर्ड पर चस्पा करेंगे। ऐसा भी इन स्कूलों पर नहीं दिख रहा। वहीं, प्रशासन व पुलिस की कार्यवाही में बाधा डालना, एफआईआर दर्ज होने के बाद भी स्कूल प्रबंधन द्वारा जांच में सहयोग नहीं करना साथ ही अभिभावकों के प्रति स्कूल का रवैया ने प्रबंधन की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। ऐसे में प्राधिकरण स्कूल प्रबंधन को जल्द नोटिस जारी कर जवाब तलब कर सकता है।


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