प्राधिकरण ने पॉलिसी में किया बदलाव, 20 हजार निवेशकों को होगा फायदा
प्राधिकरण ने बिल्डर व निवेशकों को राहत देते हुए अधिभोग प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए पॉलिसी में बदलाव किया
नोएडा। प्राधिकरण ने बिल्डर व निवेशकों को राहत देते हुए अधिभोग प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए पॉलिसी में बदलाव किया है। नई पालिसी के तहत 23 परियोजनाओं को लाभ मिलेगा साथ ही करीब 20 हजार निवेशकों को मकान पर कब्जा मिल सकेगा।
पालिसी के तहत इस योजना का लाभ एक सितंबर से 30 नवंबर तक उठाया जा सकता है। प्राधिकरण ने यह आदेश जारी कर दिए है। प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने दी। इस मौके पर वित्तीय नियंत्रक मनमोहन सिंह के अलावा विशेषाकार्यधिकारी संतोष कुमार मौजूद रहे। पॉलिसी में बदलाव करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि बिल्डरों के ऊपर प्राधिकरण की जो वर्तमान देयता है। यादि बिल्डर उस धनराशि का 10 प्रतिशत तत्काल प्रभाव से जमा करते है। ऐसी स्थिति में बिल्डर को अस्थाई अधिभोग प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। यह प्रमाण पत्र तभी जारी होगा तब नियोजन विभाग द्वारा यह देख लिया जाएगा कि जिस टावर के लिए बिल्डर ने आवेदन किया है। वहां पूरी सुविधाएं यानी पानी, सीवर, पार्किंग व फायर एनओसी है या नहीं।
उदाहरण के तौर पर यदि बिल्डर द्वारा 10 टावर के लिए अधिभोग प्रमारण पत्र हेतु आवेदन किया जाता है। तो उसे इसके 50 प्रतिशत यानी 5 टावरों का अस्थाई अधिभोग प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। वहीं, रजिस्ट्री के लिए कुल बकाया का 65 प्रतिशत जमा करना होगा। जिसे किस्तों में बांट दिया जाएगा। सीईओ ने स्पष्ट करते हुए बताया कि यदि किसी बिल्डर ने 10 टावर के लिए अधिभोग प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है। और प्राधिकरण पर उसकी 100 करोड़ की बिल्डर की देयता है। तो बिल्डर द्वारा पहले 10 प्रतिशत यानी 10 करोड़ रुपए तुरंत देना होगा।
इसके बाद प्राधिकरण बिल्डर को क्रमानुसार पांच टावरों का अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करेगा। यदि इन पांच टावरों में 400 फ्लैट है। तो वर्तमान में वसूले जाने वाली 65 धनराशि यानी 65 करोड़ रुपए इन पर समान रूप से बांट दिया जाएगा। इस प्रकार प्रति फ्लैट देयता 16.25 लाख की बनेगी। जिसके भुगतान पर ही फ्लैट की सब लीज की जा सकेगी। सीईओ ने बताया कि इस पालिसी के तहत करीब 23 परियोजनाओं को लाभ मिलेगा। मसलन शहर में कुल 76 परियोजना चल रही है।
इसमें 16 परियोजनाओं के लिए पहले आवेदन किया गया था। यदि पानी की गुणवत्ता ठीक होगी। तभी पानी को नदी में छोड़ा जाएगा। अन्यथा कंपनी को एसटीपी जांचने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। इससे प्रदूषण को रोका जाएगा। रेरा की वजह से इनके आवेदन को निरस्त कर दिया गया था। लिहाजा 23 परियोजना के करीब 20 हजार निवेशकों को इसका फायदा मिलेगा।


