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प्राधिकरण के कई और अधिकारियों पर गिर सकती है गाज

 यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में उप महाप्रबंधक परियोजना एके सिंह के गिरफ्तार होने के बाद अभी कुछ और अधिकारियों पर गाज गिर सकती है

प्राधिकरण के कई और अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
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ग्रेटर नोएडा। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में उप महाप्रबंधक परियोजना एके सिंह के गिरफ्तार होने के बाद अभी कुछ और अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। प्राधिकरण के अध्यक्ष, प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास व एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ झूठी शिकायत करने की साजिश में कई और अधिकारी शामिल है। पुलिस की विवेचना में यह बात सामने आ रही है।

इस साजिश में प्राधिकरण एक प्रशासनिक अधिकारी की भी भूमिका संदिग्ध पाई जा रही है। एके सिंह नगर निगम गाजियाबाद व आगरा में जब तैनात थे तभी उन कई आरोप लगा चुके है। नगर निगम गाजियाबाद में उनके खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में एके सिंह महाप्रबंधक परियोजना बनना चाहते थे इसलिए कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर महाप्रबंधक पद पर किसी की प्रतिनियुक्ति पर तैनाती न हो पाए इसलिए साजिश रच कर शिकायत कराई। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में महाप्रबंधक परियोजना पद पर भगवान सिंह तैनात थे। 31 जुलाई 2016 को वह सेवानिवृत्ति हो गए थे। सेवानिवृत्ति के बाद यमुना एक्सप्रेस-वे की तरफ से शासन को कई बार पत्र भेजा गया कि महाप्रबंधक पर प्रतिनियुक्ति पर भरा जाए।

शासन इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले सका। डेढ़ साल से महाप्रबंधक परियोजना का पद खाली होने पर प्राधिकरण का कामकाज प्रभावित हो रहा है। महाप्रबंधक न होने पर परियेाजना का काम दो उप महाप्रबंधक आरके अरोड़ा व अशीष कुमार से देख रहे हैं। नियमानुसार विभागीय स्तर पर महाप्रबंधक पद पर उन्हीं की पदोन्नति हो सकती जो कम से कम तीन साल उप महाप्रबंधक का तैनात रहा हो। आरके अरोड़ा दिसंबर 2016 में सीनियर मैनेजर से उप महाप्रबंधक पर पदोन्नति हुई थी जबकि अशीष कुमार सीनियर मैनेजर है उन्हें उप महाप्रबंधक का प्रभार दिया गया है। इसके अलावा प्राधिकरण के ओएसडी महराम सिंह व उप महाप्रबंधक एसके सिंह ने भी महाप्रबंधक बनने के लिए शासन स्तर पर आवेदन किया था। चारों अधिकारी महाप्रबंधक बनने की पात्रता का पूरा नहीं करते है।

ऐसे में प्राधिकरण ने 28 जून को ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में अधिशासी अभियंता पद पर बागपत में तैनात देवेंद्र बल्यान को प्रतिनियुक्ति पर तैनात करने के लिए शासन को पत्र भेजा। शासन को पत्र भेजने के 24 घंटे के अंदर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व गृह सचिव व जीआरएस में पांच शिकायत भेजी गई। शिकायत में कहा गया कि देवेंद्र बल्यान की तैनाती में दो उच्च अधिकारियों व एक केंद्रीय मंत्री ने पांच करोड़ रुपए का सौदा किया। जिसमें दो उच्च आधिकारियों ने 50-50 लाख रुपए एडवांस में ले चुके है। शिकायत में यह भी कहा गया देवेंद्र बल्यान महाप्रबंधक तैनाती की पत्रता को पूरा नहीं करते है। जबकि प्राधिकरण में ऐसे अधिकारी मौजूद है जो महाप्रबंधक पद की पात्रता को पूरा करते हैं उसे नजरअंदाज किया गया। शिकायत करने वालों में राकेश कुमार सिंह निवासी इंद्रापुरम गाजियाबाद, धर्मेद्र पाल कविनगर गाजियाबाद, शिवकुमार व बंटी शामिल है।

शिकायत मिलने पर शासन ने देवेंद्र बल्यान के प्रतिनियुक्ति की फाइल रोक दी और इसकी जांच शुरू करा दी साथ ही प्राधिकरण को पत्र भेजकर इसकी जांच के लिए कहा। शासन स्तर व प्राधिकरण दोनों तरफ से इसकी जांच की गई। जिन लोगों ने शिकायत की थी शासन ने उन्हें पत्र भेजकर बयान देने को कहा। लेकिन उनका पता फर्जी होने पर शासन को पत्र आ गया। प्राधिकरण की भी जांच में शिकायत झूठी पाई गई। जांच में यह भी पता चला कि देवेंद्र बल्यान की प्रतिनियुक्ति को लेकर शासन को भेजा गए पत्र की गोपनीयता को कुछ प्राधिकरण अधिकारियों ने भंग किया।

औद्योगिक विकास विभाग के अनुसचिव अनिल कुमार ने प्राधिकरण पत्र भेजा कि जांच में शिकायत झूठी मिली इसकी जांच कराकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार ने साीईओ को इस मामले की विभागीय जांच व मामला दर्ज कराने का आदेश दिया। जिस पर प्राधिकरण में तैनात सब इंस्पेक्टर सुनीता राणा ने कासना कोतवाली में राकेश कुमार सिंह, धर्मेद्र पाल, शिवकुमार व बंटी सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। पुलिस को जांच आईजीआरएस की एक शिकायत के आधार पर पता चला कि एक शिकायतकर्ता प्राधिकरण में प्लेसमेंट पर कर्मचारियों की आपूर्ति करता है। एके सिंह ने उसकी लगातार बात हो रही थी। इस बिना पर पुलिस ने एके सिंह को गिरफ्तार किया।


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