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कोरोना काल में बढ़ा महिलाओं पर अत्याचार:डब्ल्यूएचओ

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लोगाें के घर बैठने की वजह से महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें भी बढ़ गयी

कोरोना काल में बढ़ा महिलाओं पर अत्याचार:डब्ल्यूएचओ
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नयी दिल्ली । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण लोगाें के घर बैठने की वजह से महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें भी बढ़ गयी हैं।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण मची तबाही की वजह से लोगों के दिल दिमाग में निराशा घर करने लगी है जिससे घरेलू हिंसा के मामले भी बढ़ गये हैं। लॉकडाउन होने के कारण महिलाओं को अपने उत्पीड़क के साथ अधिक वक्त गुजराना पड़ रहा है जिससे हिंसा बढ़ रही है। इसके अलावा इस हालत में सामाजिक मदद मिलनी भी मुश्किल हो गयी है, जिससे महिलाओं पर होने वाली हिंसा को बढ़ावा मिला है।

वैश्विक संगठन ने कहा कि हिंसा की शिकार 40 फीसदी से कम महिलायें शिकायत दर्ज कराती हैं या मदद की गुहार लगाती हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मदद मांगने में भी समस्यायें आने लगी हैं। ऐसी स्थिति में पीडि़त महिला को अपनी शिकायत संभव हो तो ऑनलाइन दर्ज करानी चाहिए और सहयोगी परिजनों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों से मदद मांगनी चाहिए।

संगठन के अनुसार, जो महिलायें अपने जीवनसाथी के हाथों हिंसा की शिकार होती हैं उनके अवसादग्रस्त होने की संभावना दोगुनी, यौन संक्रमण की संभावना डेढ़ गुणी, शराब की आदी होने की संभावना दोगुनी और कम वजन के बच्चे को जन्म देने की संभावना 16 प्रतिशत बढ़ जाती है।

घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं में 42 प्रतिशत को अपने जीवनसाथी के हाथों शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ता है। दुनिया भर में हत्या की शिकार हुई महिलाओं में से 38 प्रतिशत के हत्यारे उनके जीवनसाथी थे। दुनिया भर में 12 करोड़ महिलायें और 20 साल से कम उम्र की लड़कियों को किसी न किसी प्रकार की यौन हिंसा का शिकार हुई हैं। यह हिंसा किसी भी प्रकार की होती है। प्रत्येक तीन में एक महिला अपने पति, ब्वॉयफ्रेंड, प्रेमी, पार्टनर, रिश्तेदार, कार्यालय सहयोगी, कार्यालय का बॉस या किसी अजनबी के हाथों शारीरिक या यौन हिंसा की शिकार हुई हैं।

डब्ल्यूएचओ ने दुनिया के सभी स्वास्थ्यकर्मियों से अपील की है कि वह कोरोना काल में हिंसा पीड़ित महिलाओं को मदद करें। उनका उपचार करें और उन्हें मदद के लिए हिंसा पीडि़त ऐसी महिलाओं से संपर्क रखने को प्रेरित करें, जो इससे उबर चुकी हैं।



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