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अटल टनल : प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कैसे 6 साल में पूरा हुआ 26 साल का काम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग 'अटल टनल' का उद्घाटन किया।

अटल टनल : प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कैसे 6 साल में पूरा हुआ 26 साल का काम
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नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग 'अटल टनल' का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान बताया कि कैसे अटल टनल के काम में तेजी लाकर 26 साल के काम को छह साल में पूरा किया गया। उन्होंने उद्घाटन के दिन को ऐतिहासिक बताया। कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थे कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता। जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी। उन्होंने कहा, "पहाड़ के भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है। हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्च र को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है। लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्च र के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "लोकार्पण की चकाचौंध में वे लोग पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से यह सब संभव हुआ। इस महान यज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले अपनी जान जोखिम में डालने वाले मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों, मजदूर भाई-बहनों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।"


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