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अटल ने छत्तीसगढ़ के लोगों को राज्य का भाग्य विधाता बनाया : डॉ. रमन

रमन सिंह ने आकाशवाणी से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता 'रमन के गोठ' में कहा कि अटल ने छत्तीसगढ़ की जनता से अपना वादा निभाते हुए राज्य बनाया और छत्तीसगढ़ वासियों को राज्य का भाग्य विधाता बना दिया

अटल ने छत्तीसगढ़ के लोगों को राज्य का भाग्य विधाता बनाया : डॉ. रमन
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रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता 'रमन के गोठ' में कहा कि अटल ने छत्तीसगढ़ की जनता से अपना वादा निभाते हुए राज्य बनाया और छत्तीसगढ़ वासियों को राज्य का भाग्य विधाता बना दिया।

डॉ. सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री के रूप में काम करने के अनुभव श्रोताओं के साथ साझा किए।

डॉ. सिंह ने कहा, "अटल के संपर्क में आने और उनका विश्वास हासिल करने का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। जब मैं पार्षद था। तभी अटल कवर्धा आए थे। सुबह 7 बजे उन्हें रवाना होना था। हम लोग उनके पास पहुंचे और आग्रह किया कि आप की सभा करानी है। उन्होंने पूछा कितनी भीड़ आएगी। मैंने कहा भयानक। उन्होंने हंसते हुए कहा, भयानक? तब मैं नहीं आऊंगा। पर वे आए। उस दिन इतनी भीड़ जुटी थी, जो आज तक किवदंती है।"

उन्होंने कहा, "आज तमाम संसाधन होने के बाद भी वैसी सभा करना संभव नहीं है, क्योंकि वह भीड़ मेरे प्रयास कम अटल का जादू ज्यादा थी, हालांकि उन्होंने मुझे बधाई देकर मेरा उत्साह बढ़ाया था, फिर राजनांदगांव लोकसभा चुनाव में जीत के साथ मुझे लोकसभा की सदस्यता मिली और अटल ने मुझे अपने मंत्रिमंडल में जगह दी।"

डॉ. सिंह ने कहा कि जिन्हें सपने में देखा करता था, उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिलने से बड़ी बात कोई हो नहीं सकती थी। अटल ने केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की जिम्मेदारियां निभाना सिखाया।

उन्होंने कहा, "वे मेरे पीछे चट्टान की तरह खड़े रहे और आशीर्वाद देते रहे, इसीलिए मैंने उनके निधन पर कहा कि हमारा तो निर्माता ही चला गया, इसीलिए मैं कहता हूं कि सार्वजनिक जीवन में मेरा कुछ नहीं है, सब कुछ अटल की देन है। उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, उनके आदर्श ने मुझे रास्ता दिखाया और आगे भी दिखाते रहेंगे।"

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ आज जिन ऊंचाई पर पहुंचा है, वह सब अटल की देन है। हम आगे भी उनके सपनों को साकार करेंगे। इसलिए हमने विकास यात्रा के दूसरे चरण को 'अटल विकास यात्रा' का नाम दिया है तथा ऐसे अनेक निर्णय लिए हैं जिससे अटल का नाम पीढ़ियों-पीढ़ियों तक चलता रहे।


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