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हो सकता है धरती पर जीवन की शुरुआत क्षुद्रग्रहों की वजह से हुई हो

एक क्षुद्रग्रह के सैंपलों में दो ऐसे तत्व मिले हैं जो धरती पर जीवन के लिए आवश्यक हैं. इस खोज से इस धारणा को बल मिला है कि धरती पर जीवन के लिए जरूरी तत्वों में से कुछ तत्व अरबों साल पहले क्षुद्रग्रहों की वजह से आए हों.

हो सकता है धरती पर जीवन की शुरुआत क्षुद्रग्रहों की वजह से हुई हो
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जापान की अंतरिक्ष एजेंसी के अंतरिक्ष विमान 'हायाबूसा दो' ने 2019 में रयुगु नाम के एक क्षुद्रग्रह के दो स्थानों से पत्थर हासिल किए थे. वैज्ञानिकों ने अब बताया है कि उन्हें इन पत्थरों में यूरेसिल और नायसिन नाम के दो ऑर्गैनिक कंपाउंड मिले हैं.

यूरेसिल आरएनए के केमिकल बिल्डिंग ब्लॉकों में से एक होता है. आरएनए वो मॉलिक्यूल होता है जिसमें जीव जंतुओं को बनाने और चलाने के लिए निर्देश होते हैं. नायसिन को विटामिन बीथ्री या निकोटिनिक एसिड के नाम से भी जाना जाता है और यह मेटाबॉलिज्म के लिए बेहद जरूरी होता है.

कैसे हुई होगी जीवन की शुरुआत

रयुगु धरती से 25 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है और वहां से गहरे सलेटी रंग के इन पत्थरों को हमारे ग्रह पर 2020 में वापस लाया गया था. इन्हें लाने वाला कैप्सूल ऑस्ट्रेलिया में उतरा था और फिर इन्हें वहां से अध्ययन के लिए जापान ले जाया गया.

वैज्ञानिक लंबे समय से यह सोचते रहे हैं कि करीब 4.5 अरब साल पहले धरती पर जीवन की शुरुआत के लिए क्या क्या हालात आवश्यक रहे होंगे. यह नई खोज इस अवधारणा से मेल खाती है कि उस समय धरती से टकराने वाले धूमकेतु, क्षुद्रग्रह और उल्कापिंड जैसे खगोलीय पिंड धरती पर ऐसे कंपाउंड ले कर आए जिनकी मदद से पहले जीवाणुओं का जन्म हुआ.

वैज्ञानिकों को इससे पहले धरती पर मिलने वाले और कार्बन से भरपूर उल्कापिंडों में महत्वपूर्ण ऑर्गैनिक मॉलिक्यूल मिले थे. लेकिन साथ ही यह सवाल भी था कि कहीं ये पिंड धरती पर गिरने के बाद यहां के वातावरण से संपर्क में आने की वजह से दूषित ना हो गए हों.

'नेचर कम्युनिकेशन्स' पत्रिका में छपे नए शोध के मुख्य लेखक यासुहीरो ओबा ने बताया, "हमारी मुख्य खोज यह है कि यूरेसिल और नायसिन परग्रही पर्यावरणों में मौजूद हैं और संभव है कि क्षुद्रग्रहों और उल्कापिंडों का हिस्सा बन कर वो धरती के शुरूआती समय में यहां पहुंच गए हों."

दोनों तत्वों का महत्व

ओबा एक खगोल रसायन शास्त्री हैं और जापान के होक्काइदो विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. उन्होंने आगे बताया, "हमें शक है कि इनकी धरती पर प्रीबायोटिक विकास में और संभवतः जीवन की शुरुआत में भूमिका थी."

ओबा ने यह भी बताया कि इन मॉलिक्यूलों को धरती के बाहर एक बिल्कुल अपरिवर्तित माहौल से लाया गया और धरती पर किसी भी तरह के दूषणकारी तत्वों से संपर्क के बिना प्रयोगशालाओं तक पहुंचाया गया.

सभी जीवित कोशिकाओं में पाने जाने वाला राइबोन्यूक्लिक एसिड यानी आरएनए यूरेसिल के बिना बन ही नहीं सकता. आरएनए वंशाणु या जीन की कोडिंग, नियंत्रण और गतिविधियों के लिए बेहद आवश्यक होता है.

आरएनए और डीएनए के ढांचों में समानताएं होती हैं. डीएनए वो मॉलिक्यूल है जिसके अंदर किसी भी जीव की जेनेटिक रूपरेखा होती है. नायसिन मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी होता है और जीवों को चलाने वाली "ऊर्जा" के उत्पादन में मदद कर सकता है.

योशिनोरी ताकानो जापान एजेंसी फॉर मरीन-अर्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में काम करने वाले एक ऑर्गैनिक खगोल रसायनशास्त्री हैं और इस अध्ययन के सह-लेखक हैं.

उन्होंने बताया कि अब उन्हें एक और क्षुद्रग्रह से लिए गए इन सैंपलों के अध्ययन के नतीजों का इंतजार है. ये सैंपल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2020 में अपने ओसाइरिस-रेक्स मिशन के दौरान बेन्नू नाम के क्षुद्रग्रह से लिए थे.


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