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आर्थिक आंकड़ों के आधार पर आकलन करना पर्याप्त नहीं: जयंत

 मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा द्वारा की गयी कड़ी आलोचना का जवाब देने के लिए सरकार ने आज उनके पुत्र एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को उतारा

आर्थिक आंकड़ों के आधार पर आकलन करना पर्याप्त नहीं: जयंत
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नयी दिल्ली। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा द्वारा की गयी कड़ी आलोचना का जवाब देने के लिए सरकार ने आज उनके पुत्र एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा को उतारा, जिन्होंने कहा कि संरचनात्मक सुधारों के दीर्घकालिक प्रभावाें का एक या दो तिमाही की सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) वृद्धि दर और दूसरे आर्थिक आंकड़ों के आधार पर आकलन करना पर्याप्त नहीं है।

पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कल एक अंग्रेजी दैनिक में लिखे लेख में सरकार की आर्थिक नीतियों विशेषकर नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की कड़ी आलोचना करते हुये कहा था कि अर्थव्यवस्था का बेड़ागर्क हो गया है। इसके जवाब में जयंत सिन्हा ने आज एक अन्य अंग्रेजी दैनिक में लिखे लेख में सरकार की नीतियों को नये भारत के लिए नयी अर्थव्यवस्था का निर्माण करने वाला बताते हुये कहा कि संरचनात्मक सुधारों की न सिर्फ जरूरत है बल्कि नये भारत के निर्माण और करोड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी ये आवश्यक हैें।

उन्होंने जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल भुगतान को आमूलचूल बदलाव लाने की पहल बताते हुये कहा कि इससे औपचारिक अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से शुरू किये गये संचरनात्मक सुधारों से 1991 में आरंभ हुए सुधारों को आगे बढ़ाकर तीसरी पीढ़ी के सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाया है।

वर्ष 1999 - 2004 के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कार्यकाल में दूसरी पीढ़ी के संरचनात्मक सुधार हुये थे। जयंत सिन्हा कहा है कि पहली और दूसरी पीढ़ी के सुधारों की तुलना में तीसरी पीढ़ी के सुधारों से सभी भारतीयों को बेहतर संतुलित जीवनशैली प्रदान करने के साथ ही 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने लिखा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को लेकर हाल में कई लेख लिखे गये हैं। दुर्भाग्य से इन सभी लेखों में बहुत कम तथ्यों को आधार बनाकर निष्कर्ष निकाले गये हैं और इनमें अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव लाने वाले संचरनात्मक सुधारों के मूल तत्व पर गौर नहीं किया गया है।


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