वायु सेना के एसयू-30 स्क्वाड्रन से बढ़ेगी असम रेजिमेंट की ताकत
असम रेजिमेंट और भारतीय सेना के अरुणाचल स्काउट्स ने क्षमता निर्माण के लिए सोमवार को असम के तेजपुर में 106 वायु सेना स्क्वाड्रन के साथ संबद्धता पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली। असम रेजिमेंट और भारतीय सेना के अरुणाचल स्काउट्स ने क्षमता निर्माण के लिए सोमवार को असम के तेजपुर में 106 वायु सेना स्क्वाड्रन के साथ संबद्धता पर हस्ताक्षर किए। 106 वायु सेना स्क्वाड्रन भारतीय वायु सेना के पूर्वी वायु कमान का एसयू-30 स्क्वाड्रन है।
इस संबद्धता से उन्हें समकालीन संघर्ष के माहौल में सामरिक सैन्य सिद्धांतों और अवधारणाओं की आम समझ के माध्यम से संयुक्त लोकाचार, क्षमता, सीमाओं और अन्य सेवाओं की मुख्य दक्षताओं की आपसी समझ के विकास में सहायता मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण मेजर जनरल पीएस बहल, असम रेजिमेंट के कर्नल और अरुणाचल स्काउट्स द्वारा किया गया था। इसके बाद मेजर जनरल बहल और ग्रुप कैप्टन वरुण स्लेरिया, 106 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ने 'चार्टर ऑफ अफिलिएशन' पर हस्ताक्षर किए।
असम रेजिमेंट की स्थापना 15 जून, 1941 को की गई थी। इस रेजिमेंट ने द्वितीय विश्व युद्ध में अभूतपूर्व पराक्रम का प्रदर्शन किया और छह युद्ध सम्मान जीते। बर्मा अभियान और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इस रेजिमेंट के योगदान को इतिहास में अच्छी तरह से दर्ज किया गया है।
भारतीय वायु सेना के 106 स्क्वाड्रन का गठन 11 दिसंबर, 1959 को हुआ था। वर्तमान में यह सुखोई एमकेआई संचालित करता है। इस स्क्वाड्रन ने तीन महावीर चक्र और सात वीर चक्रों हासिल किए हैं और यह भारतीय वायु सेना का सबसे गौरवशाली स्क्वाड्रन है।
मेजर जनरल बहल ने वर्तमान समय में संबद्धता के महत्व और इसके दूरगामी प्रभाव के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि संबद्धता के पीछे के विचार का उद्देश्य एक-दूसरे के परिचालन लोकाचार, अधिकतापूर्ण निर्माण और 'एस्पिरिट-डी-कॉर्प्स' को समझना था।


