असम के मुख्यमंत्री ने पशु सुरक्षा विधेयक पेश किया, वध व व्यापार पर लगेगा अंकुश
जैसा कि पहले घोषणा की गई थी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को राज्य विधानसभा में मवेशियों के वध, खपत और परिवहन को विनियमित करने के लिए 'असम मवेशी संरक्षण विधेयक-2021' पेश किया

गुवाहाटी। जैसा कि पहले घोषणा की गई थी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को राज्य विधानसभा में मवेशियों के वध, खपत और परिवहन को विनियमित करने के लिए 'असम मवेशी संरक्षण विधेयक-2021' पेश किया। सरमा के पास गृह और राजनीतिक मामलों के विभाग भी हैं। उन्होंने असम विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन विधेयक पेश करते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून से मवेशियों की तस्करी और अवैध व्यापार को भी रोका जा सकेगा।
बहुप्रतीक्षित विधेयक में कहा गया है कि वर्षो के अनुभव और कमियों को देखते हुए, यह माना जाता है कि वध, खपत को विनियमित करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधानों को शामिल करने के लिए एक कानून बनाने की अनिवार्य आवश्यकता है, इसलिए 'असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950' को निरस्त कर उसके बदले नया विधेयक लाया गया है।
प्रस्तावित विधेयक के बारे में राज्यपाल जगदीश मुखी ने 22 मई को नई विधानसभा के पहले सत्र में अपने प्रथागत भाषण में कहा था कि राज्य सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी और अपराधियों के लिए कड़ी सजा लागू करेगी।
मुखी ने कहा था, "विधानसभा में गाय संरक्षण विधेयक पारित हो जाने के बाद, असम देश के कुछ अन्य ऐसे राज्यों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने इसी तरह के कानून पारित किए हैं। गाय लोगों का पालन-पोषण करती है, पौष्टिक दूध देती है।"
नए कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर आठ साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अधिकांश पूर्वोत्तर राज्यों ने अभी तक असम के गाय संरक्षण कानून पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, हालांकि, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने पिछले हफ्ते कहा था कि यदि असम का नया कानून राज्य को गोमांस की आपूर्ति को प्रभावित करता है, तो राज्य सरकार केंद्र के साथ इस मामले को उठाएगी।
बांग्लादेश में गायों और अन्य मवेशियों की तस्करी पांच भारतीय राज्यों- पश्चिम बंगाल (2,216 किलोमीटर), त्रिपुरा (856 किलोमीटर), मेघालय (443 किलोमीटर), मिजोरम (318 किलोमीटर) और असम (263 किलोमीटर) से बड़े पैमाने पर होती है।
पड़ोसी देश के साथ लगती 4,096 किलोमीटर की सीमा में से 1,116 किलोमीटर नदी की सीमा के हैं और एक बड़ा हिस्सा बिना बाड़ वाला और दुर्गम इलाका है, जो तस्करों और अवैध व्यापारियों के लिए गैरकानूनी व्यापार और विभिन्न वस्तुओं और जानवरों की तस्करी करने वालों के लिए फायदेमंद है।


