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असोला-भाटी माइंस क्षेत्र का बनेगा मास्टर प्लान, छोटे बड़े गड्ढों का जल-संचयन के लिए हो सकता उपयोग

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को असोला-भाटी माइंस वन क्षेत्र का दौरा किया

असोला-भाटी माइंस क्षेत्र का बनेगा मास्टर प्लान, छोटे बड़े गड्ढों का जल-संचयन के लिए हो सकता उपयोग
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नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को असोला-भाटी माइंस वन क्षेत्र का दौरा किया और क्षेत्र के कायाकल्प और पुनर्विकास के लिए एक मास्टर प्लान बनाने का निर्णय लिया है। उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री इस बात से सहमत थे कि भूजल संवर्धन और जल संचयन के लिये इस इलाके में मौजूद छोटे बड़े 14 गड्ढों का समुचित इस्तेमाल किया जा सकता है। इनकी क्षमता लगभग 800 मिलियन गैलन पानी जमा करने की होगी।

तीनों ने अधिकारियों को 30 दिन के भीतर वर्षा के जल के संग्रहण के लिए क्षेत्र में स्थित अनेक बड़े छोटे गड्ढों, खाइयों का जलाशय के रूप में इस्तेमाल करने और बाढ़, जल जमाव व नालों के पानी का सदुपयोग कर संरक्षण करने निर्देश दिए हैं। साथ ही भूजल संवर्धन और इस वन क्षेत्र को इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के लिये मास्टर प्लान तैयार करने का भी निर्देश दिया और मास्टर प्लान को सम्बंधित विभागों के अधिकारियों की समिति विशेषज्ञों और संस्थानों के परामर्श से तैयार करेगी।

अधिकारियों ने बताया, "संरक्षित वन क्षेत्र में मॉनसून के दौरान निचले इलाकों में ऊपर से बहकर आता पानी जल जमाव की स्थिति बनाता है और बाढ़ का पानी भर जाता है। इसके अलावा वन क्षेत्र के बाहर बहने वाले नाले मॉनसून के दौरान क्षमता से अधिक बहने लगते है और इलाके में मौजूद निचली आबादी क्षेत्रों में जल भराव करते हैं।"

अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे ऊपर से बहकर आने वाले पानी को बांध बनाकर रोकें और फिर उस पानी को प्रेशर पम्पिंग से चिन्हित गड्ढों में डालें। इसी प्रकार आस पास के इलोकों के नालों और आबादी क्षेत्रों में वर्षा से होने वाले जल जमाव, भराव तथा बाढ़ के पानी को भी चैनलों और पम्पिंग के माध्यम से इन खाइयों, गड्ढों तक पहुंचाने के उपाय ढूंढने के निर्देश दिए गए।

इसके साथ ही इस क्षेत्र में एक लाख फूलों वाले पेड़ लगाने का निर्देश दिया गया। इनमें मोरिंगा, चेंबु- हनी ट्री, जामुन और बांस की विशेष प्रजातियां आदि शामिल हैं।

मास्टर प्लान में ईको टूरिज्म से बावत तितली ट्रेल, वन्यजीव ट्रेल, साइकल ट्रैक और पैदल पथ, पक्षियों को देखने के स्थल और रोप-वे आदि के विकास और निर्माण को शामिल किया गया है, ताकि देश की राजधानी में विश्व स्तरीय पर्यटक डेस्टिनेशन विकसित हो सके।

दरअसल, 31 मई को उपराज्यपाल ने इस क्षेत्र के दौरे के बाद अधिकारियों को इन सम्भावनाओं पर विचार करने को कहा था। इसके बाद मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की के बीच हुई बैठक के बाद इस क्षेत्र का संयुक्त दौरा करने का निर्णय लिया गया।


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