उत्तर प्रदेश में कोरोना की जंग में अलख जगाती ‘आशा’ कार्यकर्ता
आशा कार्यकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान राज्य में वापस आये 2,232 मजदूरों की जांच नमूने लेने में भी मदद की जिससे यह पता चला कि 203 मजदूर कोरोना संक्रमित थे।

नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 1.6 लाख ‘आशा’ कार्यकर्ता कोरोना के खिलाफ जंग में अतुलनीय योगदान देते हुए राज्य में वापस लौटे मजदूरों की पहचान करने, वायरस संक्रमितों को चिह्नित करने, निगरानी समिति की मदद करने और समुदायों को संक्रमण से बचाव के प्रति जागरुक करने में पूरी मुस्तैदी से जुटी हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के खिलाफ जारी लड़ाई में आशा कार्यकर्ताओं के योगदान की सराहना करते हुए मंगलवार को यह जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश की 1.6 लाख आशा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न राज्यों में काम कर रहे मजदूरों के वापस लौटने पर उन्हें चिह्नित करने में अपूर्व योगदान दिया । इन कार्यकर्ताओं ने दो चरणों में ऐसे 30.43 लाख से भी अधिक मजदूरों की पहचान की। पहले चरण में 11.24 लाख तथा दूसरे चरण में 19.19 लाख मजदूर चिह्नित किये गये। इस दौरान उन्होंने 7,965 संक्रमितों की भी पहचान की और लगातार उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखती रहीं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के तहत देश के ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में करीब दस लाख आशा कार्यकर्तायें हैं, जिनमें से 1.67 लाख उत्तर प्रदेश में हैं।
आशा कार्यकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान राज्य में वापस आये 2,232 मजदूरों की जांच नमूने लेने में भी मदद की जिससे यह पता चला कि 203 मजदूर कोरोना संक्रमित थे। राज्य में वापस लौटने वाले मजदूरों की पहचान के लिए राज्य में ग्राम प्रधानों की अगुवाई में गठित निगरानी समिति के कार्य में भी आशा कार्यकर्ताओं ने मदद की। आशा कार्यकर्ताओं ने कोरोना वायरस से संक्रमण के बचाव के तरीकों के बारे में घर-घर जाकर लोगों को जानकारी दी । उनके प्रयासों के कारण लोगों को जरुरी और गैर जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं तथा उन्हें प्राप्त करने के तरीके के बारे में जानकारी मिली।
कार्यकर्ताओं को मास्क तथा सैनिटाइजर की निर्बाध आपूर्ति की गयी।
पंचायती राज विभाग की मदद करते हुए आशा ने आंगनवाड़ी केंद्रों तथा प्राथमिक विद्यालयों की इमारत में क्वारंटीन केंद्र शुरू करने में योगदान दिया। आरोग्य सेतु ऐप को इन्होंने वृहद स्तर पर प्रचारित किया और इसे मोबाइल में इनस्टॉल करने में लोगों की मदद की।
इसके अलावा आशा कार्यकर्ता अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजाें की जांच और उन्हें अस्पताल पहुंचाने में भी मदद कर रही हैं। इन्होंने लॉकडाउन के कारण प्रभावित गर्भवती महिलाओं तथा नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में महती भूमिका निभायीं।


