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दिल्ली नगर निगम को दिल्ली सरकार का एक विभाग बनाने में लगे हैं अरविंद केजरीवाल : भाजपा

भाजपा ने अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली नगर निगम को दिल्ली सरकार का एक विभाग बनाने की कोशिश में लगे होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली की महापौर शैली ओबरॉय ने मुख्यमंत्री के दबाव में नगर निगम की स्वायत्ता, जनसेवा चार्टर एवं कर्मचारी हित सभी पर समझौता कर लिया है

दिल्ली नगर निगम को दिल्ली सरकार का एक विभाग बनाने में लगे हैं अरविंद केजरीवाल : भाजपा
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नई दिल्ली। भाजपा ने अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली नगर निगम को दिल्ली सरकार का एक विभाग बनाने की कोशिश में लगे होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली की महापौर शैली ओबरॉय ने मुख्यमंत्री के दबाव में नगर निगम की स्वायत्ता, जनसेवा चार्टर एवं कर्मचारी हित सभी पर समझौता कर लिया है और वह धीरे धीरे नगर निगम को दिल्ली सरकार का एक विभाग बना देंगी।

दिल्ली नगर निगम के महापौर पद की भाजपा उम्मीदवार शिखा राय ने आम आदमी पार्टी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा दिल्ली नगर निगम की स्वायत्ता पर कोई समझौता स्वीकार नही करेगी और पार्टी यह मांग करती है कि 1440 किलोमीटर सड़कों की सफाई का कार्य दिल्ली सरकार को सौपने से पहले निगम का विशेष सत्र बुला कर, इस पर चर्चा होनी चाहिए।

शिखा राय ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी हर काम को असंवैधानिक तरीके से करने में विश्वास रखती है। दिल्ली सरकार द्वारा पत्र लिखकर निगम के ओनरशिप वाली सड़कों को दिल्ली सरकार को सौपने की बातें बिलकुल एक सोची समझी साजिश है। इस साजिश से खुद एमसीडी के अधिकारी राजी नहीं है क्योंकि उन्हें भी पता है कि केजरीवाल सड़कों की साफ सफाई के बहाने पैसे उगाही का एक और रास्ता बनाने की कोशिश कर रही है।

वहीं दिल्ली प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने आप पर अराजकता का आरोप लगाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता जिस अराजकता से संवैधानिक व्यवस्थाओं की अवेहलना कर दिल्ली सरकार चलाना चाहते हैं, अब उसी अराजकता से नगर निगम चलाना चाहते है और इसीलिए निगम की स्थाई समिति के निर्माण को बाधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को यह समझना होगा की बिना स्थाई समिति के निर्माण के नगर निगम का कोई प्रशासनिक कार्य संभव नहीं है।

निगम पार्षद संदीप कपूर ने कहा कि दिल्ली नगर निगम में जब से आम आदमी पार्टी की मेयर आई हैं तब से महापौर की लापरवाही से निगम के अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करना तो दूर, इन कर्मचारियों को किसी न किसी तरीके से निकाला जा रहा है, जिससे इन कर्मचारियों के सामने परिवार के भरण पोषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। महापौर की लापरवाही के कारण लगभग 20 साल से निगम में काम कर रहे 3500 डीबीसी कर्मचारी, 2000 माली, 970 डाटा एन्ट्री ऑपरेटर और अन्य अस्थायी कर्मचारियों के सामने वेतन का संकट उत्पन्न हो गया है।


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