बहुआयामी उद्यानिकी कृषि से अरुण ने बदली अंचल की तस्वीर
अगर मनुष्य में दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ कर दिखाने की ठान ले तो बंजर धरती भी उपजाऊ बन लहलहा उठती है

रायगढ़। अगर मनुष्य में दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ कर दिखाने की ठान ले तो बंजर धरती भी उपजाऊ बन लहलहा उठती है। भारतीय किसान की यही शान है। जंगली ऊबड़-खाबड़ भूमि को समतल कर उसे कृषि योग्य बनाकर बहुआयामी उद्यानिकी कृषि कर किसानों के प्रेरणास्रोत बने ग्राम साल्हेओना के अरुण कुमार। सबके प्यारे बन चुके अरुण को अंचल के किसान प्यार से एलो नाम से पुकारते हैं। आज कृषि एवं उद्यानिकी फसल उत्पादन के लिए वे किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
रायगढ़ शहर से 17 किलोमिटर दूर पूर्वांचल के एक छोटा सा गांव सल्हेओना ग्राम पंचायत शकरबोगा का आश्रित गांव है जहां अरुण ने अपने एक एकड़ के अनुपजाऊ ऊबड़-खाबड़ भूमि को समतलीकरण कर आम अमरूद, पपीता, मुनगा जैसे फलदार फसलों के साथ परवल की सब्जी कृषि लगाकर अपने आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाने वाले अरुण कुमार को एक और उपाय सूझी क्यों न इन्हीं फसलों के बीच अनानास पौधे रोपें जाय। शुरुआत में इन्होंने कुछ ही पौधे लगाए, फसल अच्छा आया, अगले वर्ष इसे विस्तारित कर पूरे एक एकड़ में फैला दिए। अनानास की मांग बाजार में हमेशा ही अच्छा रहता है। 50 हजार रुपये के सिर्फ अनानास ही बेचे तथा इसके डंठल को पुन: रोपें गये शेष बचे डंठल भी दूसरे किसानों ने खरीद ली।
आम, अमरूद, नींबू, मुनगा आदि फलदार वृक्षों के बीच अनानास की खेती अरुण के लिए वरदान साबित हुआ। आमदनी और सुदृढ़ होती गई। अब इन्हें कहीं सेठ-साहूकारों से कर्ज भी लेना नहीं पड़ता। अरुण कुमार की उत्तरोत्तर उन्नति किसी से छिपी नहीं, कृषि विभाग ने किसान संगवारी नियुक्त कर दिया वहीं विभाग ने 2 बार सम्मानित किया है। किसान मेला रायपुर में किसान सम्मान-पत्र के साथ 5 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिया गया तथा 29 जनवरी 2017 को रायपुर में ही जिला स्तरीय उन्न्त कृषक पुरुस्कार 25 हजार रुपये के साथ सम्मानित किया गया। धान फसल के अलावे भी कम जमीन पर अनेक फसलें लेने के अरुण कुमार उर्फ एलो के उक्त बहुआयामी प्रयासों से किसानों को नई राह प्रशस्त हुई है । किसानों को अरुण कुमार के गतिविधियों से सीख लेकर विकास करने की दिशा में आगे आएं और उन्नत खेती को अपनाएं।


