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भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई बदले की भावना नहीं : अरुण जेटली ​​​​​​​

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मध्यप्रदेश और कर्नाटक में आयकर विभाग के छापों को राजनीतिक बदले की भावना बताए जाने को लेकर आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की

भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई बदले की भावना नहीं : अरुण जेटली ​​​​​​​
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नई दिल्ली । वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मध्यप्रदेश और कर्नाटक में आयकर विभाग के छापों को राजनीतिक बदले की भावना बताए जाने को लेकर आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की।

जेटली ने एक ब्लॉग में कहा कि दोनों राज्यों में सरकारी निधियों की हेराफरी की गई जिसको लेकर आयकर विभाग द्वारा छापे मारे गए, लेकिन इन आरोपों पर अब तक किसी ने जवाब नहीं दिया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी भी कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताना नियमित प्रथा बन गई है। भ्रष्टाचार के मामले में बदले की भावना का दावा करना कभी भी उचित बचाव नहीं होता। जो लोग इतने बड़े भ्रष्टाचार का काम करते हैं उनका आकलन कार्रवाई के आधार पर ही किया जाना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "कर्नाटक के संबंध में साक्ष्य सार्वजनिक हो चुका है कि जनकल्याण के लिए लोक निर्माण विभाग को किए गए आवंटन का इस्तेमाल इंजीनियरों द्वारा राजनीतिक उद्देश्य के लिए किया किया।"

जेटली ने कहा कि मध्यप्रदेश में एक संस्थागत तंत्र बनाया गया है जहां विकास और कमजोर वर्गो के सामाजिक कल्याण के लिए आवंटित धन राजनीति में लगाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, "दुखद है कि दोनों से किसी भी प्रदेश की सरकार ने आरोपों पर जवाब नहीं दिया है।"

आरोपियों की दलील है कि सिर्फ उन पर ही कार्रवाई क्यों हो रही है और उनके राजनीतिक विरोधियों की तलाशी क्यों नहीं हो रही है। इस पर जेटली ने कहा, "क्या कोई समानता का अधिकार है कि तब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकती जब तक विरोधियों पर आरोप न लगाया जाए? राजस्व विभाग उपलब्ध तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करता है और वह तभी कार्रवाई करता है जब इस बात से संतुष्ट होता है कि तलाशी लेने का मामला है।"

उन्होंने कहा कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए खर्च होने वाले पैसे की हेराफेरी हो रही है जिससे ऐसे कार्य में लिप्त लोगोंे की मानसिकता का पता चलता है।

जेटली ने कहा, "वे गरीबों को भी नहीं छोड़ते हैं। यह भारतीय राजनीति का पाखंड है। इस प्रकार का अन्याय करने के बाद वे न्याय की बात करने की धृष्टता करते हैं।"


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