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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से स्ट्रोक के इलाज में मिल रही है मदद

ब्रिटेन में स्ट्रोक के ऐसे मरीजों की संख्या पहले से तीन गुनी हो गई है जो एक हद तक ठीक हो कर जल्दी से अपने रोजमर्रा के काम पर लौट जा रहे हैं. यह सब कुछ संभव हुआ है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक की मदद से.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से स्ट्रोक के इलाज में मिल रही है मदद
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शुरुआती दौर में जिन मरीजों के इलाज के दौरान एआई तकनीक का इस्तेमाल हुआ उन्हें डॉक्टर के देख कर इलाज करने की तुलना में 60 मिनट पहले इलाज मिलना शुरु हो गया जिसके बेहतर नतीजे सामने आये. मंगलवार को जारी एक रिसर्च के नतीजों में यह जानकारी सामने आयी है. स्ट्रोक के करीब 111,000 संदिग्ध मरीजों पर यह रिसर्च किया गया है.

स्ट्रोक के बाद जो मरीज रोजमर्रा के काम निबटाने लायक बन गये उनका अनुपात 16 फीसदी से बढ़ कर 48 फीसदी हो गया. ये नतीजे ब्रेनोमिक्स ई स्ट्रोक इमेजिंग प्लेटफॉर्म के विश्लेषण से हासिल हुए हैं.

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स्ट्रोक का इलाज

स्ट्रोक में दिमाग के कुछ हिस्सों में खून का प्रवाह बाधित हो जाता है इसकी वजह से उस हिस्से को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है और कोशिकाएं मरने लगती हैं. स्ट्रोक का पता चलने और इलाज के शुरुआती मिनट इस लिहाज से काफी अहम होते हैं और इस काम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद काफी फायदेमंद साबित हो रही है.

यह तकनीक ब्रिटेन की मेडिकल टेक्नोलॉजी कंपनी ब्रेनोमिक्स ने विकसित की है जिसे ब्रिटेन की सरकारी स्वास्थ्य, एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के नेटवर्क अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तकनीक की मदद से स्ट्रोक के मरीजों की बीमारी की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद

यह प्लेटफॉर्म डॉक्टरों को ब्रेन स्कैन की व्याख्या करने में मदद करता है और वो तस्वीरों के दुनिया भर के विशेषज्ञों के साथ साझा कर पाते हैं जो कहीं दूर बैठ कर भी अपनी राय दे सकते हैं. ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री स्टीव बार्कले ने बयान जारी कर कहा है, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हमारे एनएचएस को बदलने की क्षमता है, तेजी से काम करना, ज्यादा सही डायग्नोसिस और यह सुनिश्चित करता है कि मरीजों को जरूरी इलाज तब मिले जह उन्हें उसकी जरूरत है."

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कैरोल विल्सन स्ट्रोक की मरीज हैं और पेशे से टीचिंग एसिस्टेंट. उन्होंने बताया कि स्ट्रोक की तुरंत पहचान होने और इलाज में मिली मदद से वह उसी दिन इस हालत में आ गईं कि बैठ कर अपने परिजनों को खुद संदेश भेज सकें. दादी बन चुकीं विल्सन उसके बाद से आपने काम पर लौट चुकी हैं और उनका कहना है, "घर भी आ गई और स्ट्रोक के दो दिन बाद ही आसपास टहलने भी जाने लगी."

ब्रिटेन में हर साल करीब 85,000 लोग स्ट्रोक के शिकार बनते हैं. एनएचएस इंग्लैंड में ट्रांशफॉर्मेशन डायरेक्टर डॉक्टर टिमोथी फेरिस का कहना है कि इलाज, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता का इस्तेमाल विशेषज्ञ स्टाफ को जीवनदायी देखभाल मुहैया कराने मदद में करता है." फेरिस ने यह भी कहा, "स्ट्रोक के लक्षण वाले मरीजों के शुरुआती जांच में हर मिनट, मरीज के ठीक हो कर घर जाने की संभावनाओं को बेहतर करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है."

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक कॉर्पोरेशन के रूप में ब्रेनोमिक्स को 2010 में शुरू किया गया था. इसका ई स्ट्रोक प्लेटफॉर्म फिलहाल 30 देशों के 330 अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा रहा है.


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