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उभरती वैश्विक भूराजनीति में यूरोप कहां है?

अमीर यूरोपीय देशों, खासकर जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन की तिकड़ी के लिए, साल 2026 में जो भूराजनीतिक स्थिति बन रही है, उसमें अस्तित्व के संकट के काफी तत्व हैं

उभरती वैश्विक भूराजनीति में यूरोप कहां है?
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  • नित्य चक्रवर्ती

ट्रंप-2 प्रशासन की पूरी समझ में यूरोपीय देशों और नाटो की भूमिका को कमतर आंकने वाली वैश्विक सुरक्षा नीति की घोषणा के कारण ... पिछले सात दिनों में वैश्विक हालात के बारे में अमेरिका की समझ से जुड़े तीन बातें हुई हैं, जिनसे पता चलता है कि ट्रंप प्रशासन धीरे-धीरे यूरोप के साथ अपनी प्रतिबद्धता वापस ले रहा है, जो 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद से पिछले आठ दशकों से चल रही व्यवस्था के खत्म होने का संकेत है।

अमीर यूरोपीय देशों, खासकर जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन की तिकड़ी के लिए, साल 2026 में जो भूराजनीतिक स्थिति बन रही है, उसमें अस्तित्व के संकट के काफी तत्व हैं। यह वैश्विक सुरक्षा पर अमेरिकी नीति की घोषणा के कारण है, जो ट्रंप-2 प्रशासन की पूरी समझ में यूरोपीय देशों और नाटो की भूमिका को कमतर आंकती है।

ट्रंप-2 प्रशासन की पूरी समझ में यूरोपीय देशों और नाटो की भूमिका को कमतर आंकने वाली वैश्विक सुरक्षा नीति की घोषणा के कारण ... पिछले सात दिनों में वैश्विक हालात के बारे में अमेरिका की समझ से जुड़े तीन बातें हुई हैं, जिनसे पता चलता है कि ट्रंप प्रशासन धीरे-धीरे यूरोप के साथ अपनी प्रतिबद्धता वापस ले रहा है, जो 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद से पिछले आठ दशकों से चल रही व्यवस्था के खत्म होने का संकेत है। इन तीनों में 9 दिसंबर को मशहूर पत्रिका पोलिटिको को दिया गया ट्रंप का साक्षात्कार, 4 दिसंबर को स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा जारी यूएस सिक्योरिटी पॉलिसी इन पर्सपेक्टिव, और तीसरा पेंटागन द्वारा रॉयटर को दिया गया अनऑफिशियल साक्षात्कार शामिल था। इन तीनों ने साफ कर दिया कि ट्रंप प्रशासन ने सुरक्षा पर अपनी निर्भरता के मामले में अमेरिका को यूरोप से अलग करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।

पोलिटिको को दिए गए ट्रंप के इंटरव्यू का सबसे ज़रूरी हिस्सा यह था कि डोनाल्ड ट्रंप ने इशारा किया कि वह यूक्रेन का समर्थन और सहयोग करना छोड़ सकते हैं, क्योंकि उन्होंने यूरोप की अपने प्रशासन की हालिया आलोचना को और आगे बढ़ाया, उसे 'कमज़ोर' और 'खराब होता हुआ' बताया और दावा किया कि यूक्रेन सिफ़र् यूरोप के समर्थन और सहयोग से रूस के खिलाफ युद्ध नहीं जीत सकता। यह साफ़ था कि ट्रंप इस बात से नाराज़ थे कि 8 दिसंबर को जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के तीनों नेताओं ने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से बात की और ट्रंप की शांति की योजना को नज़रअंदा•ा करते हुए जंग जारी रखने के लिए उन्हें पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया। यूरोपियन चालों के इस नज़रिए के बावजूद, अगले दिन ट्रंप का इंटरव्यू रिलीज़ किया गया जिसमें ट्रंप ने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को उनकी शांति की योजना मानने के लिए कहा, यह तर्क देते हुए कि मॉस्को का पलड़ा भारी रहेगा और ज़ेलेंस्की को अमेरिकी मज़ीर् के हिसाब से खेलना चाहिए, न कि यूरोपियनों के हुक्म के मुताबिक।

ट्रंप ने कहा, 'अगर यह इसी तरह चलता रहा, तो यूरोप' मेरी राय में' उनमें से कई देश अब चलने लायक देश नहीं रहेंगे। उनकी आप्रवास नीति एक विध्वंस है। वे आप्रवास के साथ जो कर रहे हैं वह एक विध्वंस है। हमारे लिए एक विध्वंस आने वाला था, लेकिन मैं उसे रोकने में कामयाब रहा।' यूक्रेन जंग खत्म करने के शांति फ़ॉर्मूले पर यूरोपीय देशों के ख़िलाफ़ तीखा हमला पूरी तरह से था। यह साफ़ था कि अमेरिकी राष्ट्रपति उन यूरोपीय देशों की रुकावट डालने वाली नीति से निपटने में अपना सब्र खो रहे थे, जो आर्थिक और मिलिटरी दोनों क्षेत्र में मदद के लिए अमेरिका पर निर्भर हैं।

पोलिटिको को दिए गए ताजा साक्षात्कार में जहां एक ओर ज़्यादातर यूक्रेन शांति योजना से जुड़े अपने यूरोपीय साथियों पर ट्रंप के भरोसे के बारे में बात हुई, वहीं दूसरी ओर पांच दिन पहले जारी अमेरिकी सुरक्षा दस्तावेज में यूरोप के साथ अमेरिका के रिश्ते से जुड़े लंबे समय के और बुनियादी मुद्दों पर बात हुई। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि माइग्रेशन और यूरोपियन यूनियन इंटीग्रेशन की वजह से अगले दो दशकों में यूरोप 'सिविलाइज़ेशन लइरेजर' (सभ्यता के तिरोहित होने) का सामना करेगा। उस दस्तावेज में यह तर्क भी दिया गया है कि अमेरिका को 'यूरोप के मौजूदा रास्ते' के लिए महादेश के अंदर 'प्रतिरोध पैदा करना' होगा।

इसे 'इंसानी इतिहास में अमेरिका को सबसे महान और सबसे सफल देश और धरती पर आज़ादी का घर बनाए रखने के लिए एक रोडमैप' के तौर पर पेश किया गया है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति यूरोप की राष्ट्रवादी अति-दक्षिणपंथी पार्टियों के लिए वाशिंगटन के समर्थन को साफ़ तौर पर दिखाया गया है। ट्रंप पहले से ही ब्रिटेन में फ़ारेज की अतिदक्षिणपंथी इंटरनेशनल बॉडी, को रिफॉर्म यूके अभियान में मदद कर रहे हैं, तथा फ्रांस में ले पेन की पार्टी और जर्मनी में एएफडी का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन अब इस दस्तावेज के ज़रिए, यूरोप में अतिदक्षिणपंथी पार्टियों को मदद को अमेरिकी सरकार की रणनीति का हिस्सा बना दिया गया है।

ट्रंप के हस्ताक्षर किए हुए विषय प्रवेश (इंट्रोडक्शन) वाले इस दस्तावेज में कहा गया है कि यूरोप आर्थिक रूप से नीचे जा रहा है, लेकिन इसकी 'असली समस्याएं और भी गहरी हैं', जिसमें 'यूरोपियन यूनियन की ऐसी गतिविधियां शामिल हैं जो राजनीतिक आज़ादी और संप्रभुता को कमज़ोर करती हैं। उनमें माइग्रेशन नीतियां जो महाद्वीप को बदल रही हैं, बोलने की आज़ादी पर सेंसरशिप और राजनीतिक विरोध को दबाना' और 'राष्ट्रीय पहचान का नुकसान' आदि भी शामिल हैं।

ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' नज़रिए का 33 पेज का स्पष्टीकरण नस्लवादी 'ग्रेट रिप्लेसमेंट' कॉन्सपिरेसी थ्योरी (भारी विस्थापन के षड्यंत्र के नस्लवादी सिद्धांत)का समर्थन करता हुआ लगता है, जिसमें कहा गया है कि कई देशों के 'बहुसंख्यक गैर-यूरोपीय' बनने का खतरा है और यूरोप 'सभ्यता के खत्म होने की असली और प्रबल संभावना' का सामना कर रहा है। इसमें आगे कहा गया है: 'अगर मौजूदा रूझान जारी रहे, तो 20 साल या उससे भी कम समय में महाद्वीप को पहचाना नहीं जा सकेगा।'

इसलिए अमेरिका की नीतियों में 'यूरोपीय देशों के अंदर यूरोप के मौजूदा रास्ते का विरोध करना' और साथ ही यूरोप को 'अपनी सुरक्षा की मुख्य ज़िम्मेदारी लेने' और 'अमेरिका के सामान और सेवाओं के लिए यूरोपीय बाज़ार खोलने' में मदद करना शामिल होना चाहिए।

नाटो के भविष्य के बारे में, पेंटागन ने रॉयटर को गैर-आधिकारिक तौर पर बताया कि अमेरिका 2027 के आखिर तक अपने ज़्यादातर सैनिकों और हथियारों को वापस बुलाने की तैयारी कर रहा है। यूरोप को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी। पेंटागन ने इस बात पर भी दुख जताया कि चेतावनी के बावजूद, नाटो के सदस्य देश आम तौर पर अपने रक्षा खर्च को बढ़ाने के लिए तय कदम नहीं उठा रहे हैं। अमेरिका नाटो में अतिरिक्त ज़िम्मेदारियां नहीं ले सकता जैसा वह अभी कर रहा है।

कुल मिलाकर, ये तीनों नए साल में अमेरिका की विदेश और रक्षा नीति के एक निश्चित रूझान को दिखाते हैं, जो अमेरिका के साथ उनके रिश्तों के मामले में नाटो और ईडीयू (यूरोपियन डिफेंस यूनियन) दोनों को अलग-थलग करने की मांग करता है। यह मुद्दा और भी बुनियादी हो गया है, जिस तरह से विकसित देश आप्रवास और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे कुछ बड़े मुद्दों को देखते हैं। यूरोप के लिए, आने वाला नया साल अमेरिका के साथ उसके गठबंधन के लिए एक परीक्षण का समय होगा।


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