स्त्री सुरक्षा और सम्मान पर भाजपा के विचार क्या हैं?
विधर्मियों से विवाह करने वाली लड़कियों की टांगें तोड़ देनी चाहिए, ऐसा हिंसक सुझाव देने वाली प्रज्ञा ठाकुर लड़कियों से छेड़खानी करने वाले पुरुषों को किस तरह दंडित होते देखना चाहती हैं, यह जानने की उत्सुकता है

- सर्वमित्रा सुरजन
एक दिन में कोई भी बदलाव नहीं होता है, लेकिन उसकी शुरुआत कभी न कभी तो होती ही है। पहले महिलाओं के पढ़ने पर बंदिशें थीं। विधवा विवाह नहीं होते थे। सती प्रथा थी। बाल विवाह होते थे। ये सारी बुराइयां धीरे-धीरे ही सही लेकिन काफी हद तक दूर हुई हैं। इसी तरह छेड़खानी, यौन हिंसा आदि के खिलाफ भी समाज में बदलाव लाने और उसे सुधारने की जरूरत है।
विधर्मियों से विवाह करने वाली लड़कियों की टांगें तोड़ देनी चाहिए, ऐसा हिंसक सुझाव देने वाली प्रज्ञा ठाकुर लड़कियों से छेड़खानी करने वाले पुरुषों को किस तरह दंडित होते देखना चाहती हैं, यह जानने की उत्सुकता है। इस सवाल की भी जिज्ञासा है कि क्या वे भी कैलाश विजयवर्गीय की तरह छेड़खानी का शिकार लड़कियों में ही नुक्स देखती हैं। कैलाश विजयवर्गीय भाजपा सरकार में मंत्री तो हैं ही, पुरुष सत्तात्मक समाज के नुमाइंदे भी हैं, जिसमें समाज में पुरुष का दर्जा स्त्री से ऊंचा माना जाता है। क्या प्रज्ञा ठाकुर खुद को पुरुषों से दोयम मानती हैं। अगर ऐसा है तो फिर ऐसे नेताओं का अंध समर्थन कर उन्हें सत्ता सौंपने वाले समाज को अपनी चिंता करना शुरु कर देना चाहिए। क्योंकि किसी न किसी तरह लड़की को ही गुनहगार समझने वाली निकृष्ट सोच उन तमाम असामाजिक तत्वों को हौसला देती है, जिनके कारण अंधेरा होने से पहले लड़कियों को घर आने की हिदायत घुट्टी की तरह पिलाई जाती है। जिनके कारण समाज में लड़कियों के लिए असुरक्षित माहौल बना हुआ है।
पाठक 23 अक्टूबर की उस शर्मनाक घटना से परिचित होंगे, जब दिन के 11 बजे इंदौर में आस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट टीम की दो खिलाड़ियों के साथ छेड़खानी हुई। एक बाइक सवार ने दोनों खिलाड़ियों का पीछा किया, उनके साथ अभद्रता की, जिससे डर कर उन्होंने अपनी टीम को तत्काल मदद का संदेश दिया। इस बीच एक अन्य व्यक्ति ने दोनों खिलाड़ियों की मदद की और बाइक का नंबर नोट कर पुलिस को दिया, जिससे आरोपी को पकड़ने में मदद मिली। आस्ट्रेलियाई टीम के सुरक्षा प्रबंधक डैनी सिमंस ने बताया कि उन्हें पहले 'लाइव लोकेशन' अलर्ट मिला जो टीम के लिए इमरजेंसी संकेत होता है। इसके तुरंत बाद एक खिलाड़ी का व्हाट्सएप संदेश आया, कि मैं अपनी लाइव लोकेशन भेज रही हूं। एक आदमी हमारा पीछा कर रहा है और हमें पकड़ने की कोशिश कर रहा है।'
फिलहाल आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है, पता चला है कि उसका नाम पहले से पुलिस डायरी में दर्ज है। बहरहाल, यह प्रसंग यहीं खत्म नहीं होता है। इस बारे में सोशल मीडिया पर भी काफी बातें हुईं, आस्ट्रेलियन वीमेन्स टीम ने भी अपने एकाउंट से संदेश प्रसारित किए, लेकिन उसके जवाब में उन्हें ऐसी अभद्र टिप्पणियां सुनने मिलीं कि उन्होंने इस घटना से जुड़ी सारी पोस्ट्स हटा ली हैं। ऑस्ट्रेलियन वुमन क्रिकेट के एक्स अकाउंट से लिखा गया कि उस भयानक घटना के बारे में सभी ट्वीट हटा दिए हैं। उनके साथ जो हुआ उसके बारे में हमारी भावनाएं नहीं बदली हैं, लेकिन हम अपने प्लेटफॉर्म को गाली-गलौज, टिप्पणियों का जरिया नहीं बनने दे सकते।
इस संदेश के बाद न केवल इंदौर और मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश को शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए कि हमारी कैसी छवि दुनिया में बन चुकी है। आस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों के साथ संभवत: उनके गोरे रंग को देखकर यह अभद्रता हुई है। याद पड़ता है कि मुंबई में इसी तरह द.कोरिया की एक महिला यूट्यूबर के साथ दो लोगों ने छेड़खानी की थी, तब भी किसी स्थानीय व्यक्ति ने ही उसे बचाया था। दो साल पहले प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक विदेशी महिला के साथ होली पर अभद्रता की गई थी। झारखंड में साइकिल यात्रा पर निकले विदेशी जोड़े में महिला को सामूहिक बलात्कार का शिकार बनाया गया था। देश के वे तमाम पर्यटन स्थल, जहां विदेशी सैलानी बहुतायत में आते हैं, वहां भी छेड़खानी या नस्लभेद की वारदात आम बात हो चुकी है।
इन घटनाओं के बाद अतिथि देवो भव या यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते जैसी सूक्तियां केवल दीवारों की शोभा बढ़ाती हुई ही दिखती हैं, क्योंकि समाज में यह भाव तो सिरे से गायब हो चुका है। इंदौर का मामला शायद इसलिए सुर्खियों में आया क्योंकि इसमें क्रिकेट जुड़ा हुआ है। भारत को अगर पर्यटन से भारी-भरकम कमाई होती है, तो उससे कहीं ज्यादा मुनाफा क्रिकेट मैचों से हो जाता है। लिहाजा बीसीसीआई कतई नहीं चाहेगा कि उस पर कोई गलत ठप्पा लगे। हालांकि भविष्य में जब भी किसी अन्य देश की महिला टीमें आएंगी, तब इस घटना का जिक्र होगा ही।
इंदौर में छेड़खानी की घटना पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि यह न केवल मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी है, बल्कि इसके प्रभारी मंत्री और गृह विभाग के प्रमुख खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हैं। मध्यप्रदेश वैसे भी दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान और उत्तरप्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर आता है। एनसीआरबी के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश में जनजातियों, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या देश में चिंताजनक है। कायदे से कैलाश विजयवर्गीय को कानून व्यवस्था की इस बिगड़ती स्थिति पर अपने विचार रखने चाहिए थे। लेकिन जैसे पहले उन्होंने महिलाओं को लेकर विवादित बयान दिए हैं, एक बार फिर उन्होंने इसमें भी महिला खिलाड़ियों की गलती ही पकड़ी। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि खिलाड़ियों को बाहर निकलते समय स्थानीय अधिकारियों को सूचित करना चाहिए क्योंकि वे भारत में बहुत लोकप्रिय हैं। हालांकि उन्होंने आरोपी को सजा देने का भरोसा भी दिलाया। लेकिन उनके बयान से विवाद खड़ा हो गया। बताया जा रहा है कि खिलाड़ियों ने निकलने से पहले सूचित किया था। और मान लें कि नहीं भी बताया था, या वे भारत में लोकप्रिय नहीं होती, क्या तब भी उन्हें या किसी भी महिला को सुरक्षित माहौल नहीं मिलना चाहिए। हो सकता है अगर महिला खिलाड़ियों के साथ सुरक्षाकर्मी साथ होता, तो ऐसी वारदात नहीं होती। लेकिन मूल सवाल अब भी वहीं कायम है कि आखिर किसी सुरक्षा घेरे में निकलने की नौबत ही क्यों हो। क्यों यहां समाज की मानसिकता पर मंत्री महोदय सवाल नहीं उठाते।
एक दिन में कोई भी बदलाव नहीं होता है, लेकिन उसकी शुरुआत कभी न कभी तो होती ही है। पहले महिलाओं के पढ़ने पर बंदिशें थीं। विधवा विवाह नहीं होते थे। सती प्रथा थी। बाल विवाह होते थे। ये सारी बुराइयां धीरे-धीरे ही सही लेकिन काफी हद तक दूर हुई हैं। इसी तरह छेड़खानी, यौन हिंसा आदि के खिलाफ भी समाज में बदलाव लाने और उसे सुधारने की जरूरत है। यह काम न केवल कानून बनाने से होगा, न केवल समाज के चाहने से होगा, बल्कि इसमें मिलजुल कर खुली सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। लेकिन अभी तो आलम ऐसा है कि भयावह से भयावह बलात्कार के मामले भी सरकारों को गिराने या सत्ता पर काबिज होने के लिए इस्तेमाल होते हैं। स्त्री एक बार नहीं बार-बार शोषण का शिकार होती है। कैलाश विजयवर्गीय पहले लड़कियों को देवी बताते हुए उनके नाइटक्लब जाने, छोटे कपड़े पहनने, आदि पर टिप्पणियां कर चुके हैं। 2013 में उन्होंने कहा था कि 'एक ही शब्द है मर्यादा। मर्यादा का उल्लंघन होता है, तो सीता हरण हो जाता है। लक्ष्मण रेखा हर व्यक्ति की खींची गई है। उस लक्ष्मण रेखा को कोई भी पार करेगा, तो रावण सामने बैठा है, वह सीता हरण करके ले जाएगा। इस बयान पर जब उन्हें घेरा गया और बात भाजपा पर आई तो तत्कालीन भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा था, 'पार्टी इस बयान से ख़ुद को दूर रखती है और उन्होंने कैलाश से ये बयान वापस लेने को कहा है।'
अब भाजपा प्रज्ञा ठाकुर या कैलाश विजयवर्गीय के हालिया बयानों से सहमत है, या उनसे खुद को दूर रखती है, ये देखना होगा।


