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ललित सुरजन की कलम से सोनिया, कांग्रेस और सोशल मीडिया

'कांग्रेस के लिए 1997-98 एवं 2014-15 की स्थितियों में काफी समानताएं हैं।

ललित सुरजन की कलम से सोनिया, कांग्रेस और सोशल मीडिया
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'कांग्रेस के लिए 1997-98 एवं 2014-15 की स्थितियों में काफी समानताएं हैं। श्री नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह की युति द्वारा नवउदारवादी आर्थिक एजेण्डा लागू करने के बावजूद 1996 और फिर 1997 में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा था। श्री राव की जगह सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बन गए थे, जिनकी पार्टी निष्ठा और वरिष्ठता दोनों ही पार्टी को पुनर्जीवित करने में नाकाम सिद्ध हो चुकी थी। सोनिया गांधी ने कठिन समय में पार्टी की बागडोर संभाली तब 2004 में जाकर उनकी अथक मेहनत का परिणाम सामने आया। आज फिर वैसी ही स्थिति है बल्कि तब के मुकाबले चुनौतियां अभी इस वक्त कहीं ज्यादा हैं। भारतीय जनता पार्टी के पास न सिर्फ स्पष्ट बहुमत है बल्कि नरेन्द्र मोदी के रूप में एकछत्र नेता भी है जबकि कांग्रेस के पास लोकसभा में दस प्रतिशत सीटें भी नहीं हैं।'

(देशबन्धु में 26 मार्च 2015 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/03/blog-post_27.हटम्ल



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