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करोड़ों भारतीय फंसे थे रियल-मनी गेमिंग के जाल में

रियल-मनी गेमिंग (आरएमजी) पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इस नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की उम्मीद है

करोड़ों भारतीय फंसे थे रियल-मनी गेमिंग के जाल में
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  • लेखा रत्तनानी

ये गेमर्स अन्य प्रकार की लतों की तरह खेलने के विकल्प तलाशते हैं। इसलिए कंपनियों ने जहां अपने पैसे पर आधारित खेलों को बंद कर दिया है वहीं कथित तौर पर स्थानीय अवैध नेटवर्क के साथ कई विदेशी सट्टेबाजी और जुए के प्लेटफॉर्म ने उनकी जगह ले ली है। ऑनलाईन गेमिंग के वर्षों से आदी नशेड़ियों के लिए उस मादक दुनिया को छोड़ना आसान नहीं है।

रियल-मनी गेमिंग (आरएमजी) पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इस नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की उम्मीद है। परस्पर विरोधी फैसलों से बचने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक, दिल्ली और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों के लिए स्थानांतरण याचिका दायर करने के बाद इन याचिकाओं को शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। यह चुनौती गेमिंग कंपनियों द्वारा संचालित पे-टू-प्ले संचालन को गैरकानूनी घोषित करने के बाद आई है जो पिछले दो दशकों में तेजी से बढ़ते हुए अरबों डॉलर के व्यवसाय में बदल गए हैं। इनमें से कुछ जुए का प्रचार फिल्म उद्योग और क्रिकेट जगत की मशहूर हस्तियों द्वारा भी किया जाता है जो आपको मौज-मस्ती, गेमिंग और पैसों के एक काल्पनिक क्षेत्र में प्रवेश के लिए आमंत्रित करते हैं। गेमिंग के खिलाड़ियों ने पाया है कि बोनस और जैकपॉट के वादे भ्रामक होते हैं। ऑनलाइन गेमिंग के अधिक परिचित पहलू- नुकसान, धोखाधड़ी, निराशा, कर्ज और वित्तीय बर्बादी की समस्याओं ने सरकार को अगस्त में ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन अधिनियम, 2025 लाने के लिए प्रेरित किया जिसने रियल-मनी गेमिंग (आरएमजी) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

भारतीय न्याय व्यवस्था हमेशा स्पष्ट रही है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारत भर के राज्यों के कानूनों के तहत जुआ और सट्टेबाजी पहले से ही प्रतिबंधित हैं। हालांकि ऑनलाइन क्षेत्र अगस्त से पहले अनियमित रहा है। यह क्षेत्र 2000 के दशक की शुरुआत से विकसित हुआ। इंटरनेट कैफ़े और लैन गेमिंग केंद्र मल्टीप्लेयर गेमिंग के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान करते थे और आज हम जिस प्रसार को देख रहे हैं वह उसी का नतीजा है। इसे कम करने के लिए या यदि यह संभव नहीं है तो उन लाखों लोगों की सुरक्षा के लिए बहुत कुछ करना होगा जो अभी भी वैश्विक स्तर पर उपलब्ध किसी न किसी प्लेटफॉर्म की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

गेमिंग अधिनियम के बाद कंपनियों ने इसका पालन किया है और अपने आरएमजी संचालन बंद कर दिए हैं लेकिन अधिकांश ऑफशोर प्लेटफॉर्म चलाने वाली अन्य कंपनियों ने कथित तौर पर गेमर्स को खेलने की अनुमति देने के लिए कदम उठाया है। इसलिए हाल ही में खबरों में आए और दो दशकों से अधिक समय से चुपचाप चल रहे अनचेक्ड डोमेन में बदलाव लाने के लिए बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता हो सकती है। उद्योग के अनुमानों के अनुसार भारतीय ऑनलाइन गेमर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है क्योंकि आज बहुत से लोग स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं और इंटरनेट तक उनकी पहुंच है। अधिकांश भारतीय खिलाड़ी लैपटॉप, टैबलेट या अन्य स्मार्ट उपकरणों का उपयोग करने के बजाय मोबाइल गेमिंग पसंद करते हैं। प्रौद्योगिकी-सक्षम बाजार की खुफिया फर्म 'वन लैटिस' की पिछले साल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2023 में 9.5 अरब गेम डाउनलोड किए गए जो दुनिया भर में मोबाइल गेम डाउनलोड का लगभग 20 प्रतिशत है। ऑनलाइन गेम उद्योग का बाजार मूल्य लगातार बढ़ रहा है। इसने मोबाइल गेम इंस्टॉल के लिए भारत को सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक बाजार के रूप में स्थापित किया है। जैसे-जैसे मोबाइल गेमिंग एक शीर्ष सामाजिक गतिविधि में बदलता गया है, इसने भारत में असली पैसे वाले गेमिंग की समस्या को भी गहरा कर दिया है।

भारत में इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल गेम डाउनलोड होने का कारण संभवत: सबसे अधिक संख्या में ऑनलाइन खिलाड़ियों की मौजूदगी है और संभावना है कि बड़ी संख्या में लोग इसके आदी हैं। इन प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने के लिए मशहूर हस्तियों की बहुत आलोचना की गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने जंगली रमी, लोटस 365 और जिटविन जैसे अवैध सट्टेबाजी एप के माध्यम से धन शोधन के संदेह में इन एप का प्रचार करने वाले टीवी एंकर, सोशल मीडिया इनफल्यूंसर्स तथा फिल्मस्टारों को जुलाई और अगस्त में तलब किया था। तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में पुलिस ने इन प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने के लिए उनके खिलाफ सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 के उल्लंघन में पहले मामले दर्ज किए थे। इनमें से कुछ हस्तियों ने कहा था कि उन्होंने नैतिक चिंताओं पर अनुबंध समाप्त कर दिए थे जबकि अन्य ने अवैध संचालन को बढ़ावा देने से इनकार किया था।

हालांकि प्रतिबंध के बावजूद ऑनलाइन गेमिंग बंद नहीं हुई है। कहा जाता है कि जो खिलाड़ी पहले से ही जोखिम भरे अस्थिर क्षेत्र में लगे हुए हैं, वे असुरक्षित ऑफशोर जुए के अंधेरे रास्ते की ओर रुख कर रहे हैं। लत के अन्य रूपों की तरह वे खुद को रोक सकने में असमर्थ हैं। व्यसन, चिंता और प्रभाव-परिवर्तन जैसे विषयों पर केंद्रित तकनीक के मानसिक जीवन के बारे में अध्ययन करने वाली और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के मीडिया, संस्कृति एवं संचार विभाग में एसोसिएट प्रोफ़े सर नताशा डॉव शूल ने अपनी किताब 'एडिक्शन बाय डिज़ाइन: मशीन गैंबलिंग इन लास वेगास' में लिखा है कि जुआ खेलने के आदी लोग जीतने के लिए नहीं बल्कि जितना हो सके उतना देर तक खेलते रहने के लिए खेलते हैं। चाहे इसके लिए उन्हें शारीरिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर थकान की कीमत चुकानी पड़े। लास वेगास में 15 साल की शोध के आधार पर शूल यह दिखाती हैं कि कैसे इलेक्ट्रॉनिक जुए की यांत्रिक लय खिलाड़ियों को एक ऐसी अवस्था में डाल देती है जिसे 'मशीन ज़ोन' कहा जाता है और जहां रोज़मर्रा की चिंताएं, सामाजिक मांगें और सामान्य जागरूकता गायब हो जाती है।

ये गेमर्स अन्य प्रकार की लतों की तरह खेलने के विकल्प तलाशते हैं। इसलिए कंपनियों ने जहां अपने पैसे पर आधारित खेलों को बंद कर दिया है वहीं कथित तौर पर स्थानीय अवैध नेटवर्क के साथ कई विदेशी सट्टेबाजी और जुए के प्लेटफॉर्म ने उनकी जगह ले ली है। ऑनलाईन गेमिंग के वर्षों से आदी नशेड़ियों के लिए उस मादक दुनिया को छोड़ना आसान नहीं है जिसने घूमते हुए पहियों के पीछे, ताश के पत्तों के नीचे या पासों के जोड़े के जरिए लाखों पाने का वादा किया है। फिल्मी सितारों, क्रिकेटरों और सोशल मीडिया इनफल्यूंसर्स ने इन गेमिंग उपक्रमों को बढ़ावा दिया है जिन्होंने खिलाड़ियों को आकर्षित करने में मदद की होगी।

यह सारा कुछ उस वक्त में है जब कई संकेतक बताते हैं कि कैसे बहुत कम खिलाड़ी जीतते हैं और कैसे गेमिंग कंपनियां मुनाफ़ा बढ़ा रही हैं; और कैसे बड़ी संख्या में खिलाड़ी कर्ज और वित्तीय बर्बादी की ओर धकेले गए हैं। मनोचिकित्सकों, परामर्शदाताओं और हेल्पलाइनों को ऑनलाइन गेम खेलने वालों की ओर से बहुत अधिक कॉल आ रहे हैं। अधिकतर लोग 40 साल से कम उम्र के लगते हैं और इनमें ऑफिस जाने वाले, व्यापारी से लेकर छात्र तक शामिल हैं। मनोचिकित्सक, परामर्शदाता और हेल्पलाइन वाले पाते हैं कि मोबाइल एप्स की आसान उपलब्धता के कारण यह चलन बढ़ा है। कुछ जीत के बाद खिलाड़ी बड़े रिटर्न की तलाश में लग जाते हैं और अनिवार्य रूप से नुकसान उठाते हैं जो बढ़ता ही जाता है। आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन 'वन लाईफ' ने कहा कि वित्तीय संकट में फं से लोगों से उसे जो कॉल मिले उनमें से 60 फीसदी ऑनलाइन सट्टेबाजी में हुए नुकसान के थे। सिकंदराबाद स्थित आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन प्रदान करने वाले एक संगठन का कहना है कि उसे नशे की लत के शिकार लोगों से कई कॉल आते हैं लेकिन यह संगठन इस बारे में विशिष्ट डेटा नहीं देता है कि इनमें से कितने कॉल ऑनलाइन गेमिंग के आदी लोगों के हैं।

हालांकि पारंपरिक रूप से नशे की लत ड्रग्स और शराब से जुड़ी रही है और यह बहुत व्यापक है परन्तु जुए की दुनिया से भारतीयों के बारे में बड़े और अधिक चौंकाने वाले आंकड़े मिल रहे हैं। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि एक अनुमान के अनुसार ऑनलाइन मनी गेम्स से 45 करोड़ लोग नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं और इन लोगों को इसके कारण 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।

समस्या के आकार और इसके छोटे शहरों एवं गांवों तक फैलाव को देखते हुए सरकार की ओर से कार्रवाई करने की आवश्यकता थी और उसने ऐसा किया भी है। उम्मीद है कि सरकार की त्वरित और निर्णायक कार्रवाई गेमिंग कंपनियों की चुनौती का सामना कर पाएगी।

(लेखिका द बिलियन प्रेस की प्रबंध संपादक हैं। सिंडिकेट : द बिलियन प्रेस)


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