ललित सुरजन की कलम से-लाहौर : गुलाबी पगड़ी, शाकाहारी दावत
'प्रधानमंत्री मोदी को यह समझ आ रहा है कि पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारना देश की शांति और सुरक्षा के लिए पहली शर्त है।

'प्रधानमंत्री मोदी को यह समझ आ रहा है कि पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारना देश की शांति और सुरक्षा के लिए पहली शर्त है। वे अगर विवादों और लंबित प्रश्नों को सुलझा पाए तो अपना नाम इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा लेने के अधिकारी हो जाएंगे। देश के हर प्रधानमंत्री ने इस दिशा में भरसक प्रयत्न किए हैं, किन्तु कहीं न कहीं जाकर बात टूटते गई। आज वैश्विक राजनीति में आर्थिक मुद्दे पहले से कहीं ज्यादा प्रभावी हो गए हैं, वित्तीय पूंजी का दखल बढ़ गया है, कार्पोरेट घराने राजनीति के माध्यम से अपना वर्चस्व बढ़ाने में लगे हैं। इन घरानों ने श्री मोदी से बहुत आशाएं बांध रखी हैं। वे अगर पाकिस्तान में नवाज शरीफ के साथ-साथ वहां के सैन्यतंत्र के साथ पटरी बैठा सके तो भारत-पाक मैत्री के रास्ते की बाधाएं दूर हो सकती हैं। इस दिशा में एक बड़ी अड़चन भारत में संघ के मनोगत को लेकर है। राम माधव का बयान इस ओर इशारा करता है। हम प्रतीक्षा करेंगे कि नए वर्ष में यह भेंट क्या रंग लाती है।'
(देशबन्धु में 31 दिसंबर 2015 को प्रकाशित)
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