Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से - बिहार के बाद क्या?

पहले तो लोग इस बात पर माथापच्ची करते रहे कि बिहार में विधानसभा चुनावों के नतीजे क्या होंगे। जिस दिन मतदान का आखिरी चरण सम्पन्न हुआ उस दिन तमाम विशेषज्ञ एक्जिट पोलों की चीर-फाड़ में लग गए

ललित सुरजन की कलम से - बिहार के बाद क्या?
X

'पहले तो लोग इस बात पर माथापच्ची करते रहे कि बिहार में विधानसभा चुनावों के नतीजे क्या होंगे। जिस दिन मतदान का आखिरी चरण सम्पन्न हुआ उस दिन तमाम विशेषज्ञ एक्जिट पोलों की चीर-फाड़ में लग गए।

8 नवंबर को जब बहुप्रतीक्षित परिणाम सामने आए तब से उन नतीजों का विश्लेषण करने का काम चल रहा है। यह स्वाभाविक है तथा अभी कुछ दिन और चलेगा। सोशल मीडिया की जहां तक बात है उसमें लतीफों की बहार आई हुई है।

बल्कि दीवाली के समय यह कहना अधिक सही होगा कि फुलझडिय़ां और पटाखे छूट रहे हैं। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी के दौरान कई महीनों तक पारंपरिक मीडिया और सोशल मीडिया दोनों का जमकर उपयोग किया था।

प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इसमें कोई कमी नहीं आई किन्तु इसके साथ यह भी हुआ कि नए-नवेले प्रधानमंत्री पर दोनों तरह के मीडिया में टीका-टिप्पणियां होना शुरु हो गईं, फिर बात चाहे उनकी परिधानप्रियता की हो, चाहे उनके मंत्रियों की योग्यता की। राजनीति में हर व्यक्ति को सार्वजनिक टीकाओं का सामना करना ही होता है। जो जितना बड़ा है उस पर उतनी ही ज्यादा बातें होती हैं। इस मामले में हमारे प्रधानमंत्री ने कमाल कर दिया। विगत डेढ़ वर्ष के दौरान उनको लेकर जितने कटाक्ष किए गए हैं वैसी स्थिति शायद कभी किसी सत्ता प्रमुख के सामने नहीं आई।'

(देशबन्धु में 11 नवंबर 2015 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/11/blog-post_12.html


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it