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ललित सुरजन की कलम से - विश्व राजनीति के दो संकेत

जिस यूरोप के अनेक देशों ने अतीत में उपनिवेश स्थापित किए थे, दूसरे देशों को गुलाम बनाया था

ललित सुरजन की कलम से - विश्व राजनीति के दो संकेत
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जिस यूरोप के अनेक देशों ने अतीत में उपनिवेश स्थापित किए थे, दूसरे देशों को गुलाम बनाया था, जिसने पहले और दूसरे विश्व युद्ध की विभीषिका झेली थी उसी यूरोप ने कुछ तो शायद प्रायश्चित करने के लिए या कुछ शायद जनतांत्रिक मूल्यों से प्रेरित होकर इन शरणार्थियों को अपने देश में जगह दी, समय के साथ उन्हें नागरिकता प्रदान की और बराबरी का दर्जा भी दिया।

इंग्लैंड, फ्रांस, नीदरलैंड, नार्वे, जर्मनी आदि अनेक देशों में तुर्की, अल्जीरिया, सोमालिया, सीरिया, पोलैण्ड इत्यादि से आकर लोग बसे और कालांतर में शहर के मेयर से लेकर संसद सदस्य तक बने।

एक तरह से कहा जा सकता है कि यूरोप के एक बड़े हिस्से ने अपने अतीत पर पश्चाताप करते हुए एक नए विश्व समाज के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाए, जो शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित हो।

(देशबन्धु में 12 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/10/blog-post_11.html


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