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ललित सुरजन की कलम से - यात्रा वृत्तांत :दक्षिण अफ्रीका में भारतवंशी

दक्षिण अफ्रीका में इस तरह भारतवंशियों की सात-आठ पीढ़ियां बीत चुकी हैं

ललित सुरजन की कलम से - यात्रा वृत्तांत :दक्षिण अफ्रीका में भारतवंशी
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दक्षिण अफ्रीका में इस तरह भारतवंशियों की सात-आठ पीढ़ियां बीत चुकी हैं। इनमें बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश के अलावा तमिलनाडु से लाए गए व्यक्तियों की ही संख्या अधिक थी। हमारी यात्रा के दौरान अनूप सिंह पथ प्रदर्शक के रूप में हमारे साथ थे।

अनूप सिंह के लकड़दादा रीगु शिवचंद 1892 में यहां लाए गए थे। शिवचंद का पैतृक निवास भोजपुर इलाके के किसी गांव में है। गन्ने के खेत में काम करते हुए दो तीन साल बाद उन्होंने जिस युवती से विवाह किया वह भी उसी इलाके से बिना परिवार अकेली लाई गई थी।

आज शिवचंद की आठवीं-नवीं पीढ़ी तक आकर उनके खानदान के लगभग नौ सौ सदस्य दक्षिण अफ्रीका में आबाद हैं। अनूप सिंह थोड़ा गर्व से बताते हैं कि महात्मा गांधी और शिवचंद लगभग एक ही समय में दक्षिण अफ्रीका आए थे।

उनके ही परिवार के एक अत्यंत सम्मानित व्यक्ति मेवा रामगोबिन से इला गांधी का विवाह हुआ था। डरबन से पीटर मॉरित्जबर्ग जाते समय बस में अनूपसिंह ने हमें एक पुस्तक दिखलाई जिसमें उनके परिवार का वंशवृक्ष और आद्योपांत इतिहास अंकित था।

शिवचंद का यह बडा कुनबा अब दो साल में एक बार पारिवारिक मिलन का आयोजन करता है, ताकि सब लोग एक दूसरे से जान पहचान और संपर्क बनाए रख सकें।

(देशबन्धु में 23 अगस्त 2012 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html


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