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ललित सुरजन की कलम से - 'अकाल उत्सव समाप्त हो गया'

सत्येंद्र गुमाश्ता महासमुंद के पास तालाब गहरीकरण स्थल पर गए थे। उन्होंने लौटकर जो रिपोर्ट बनाई वह 8 अप्रैल को छपी

ललित सुरजन की कलम से - अकाल उत्सव समाप्त हो गया
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सत्येंद्र गुमाश्ता महासमुंद के पास तालाब गहरीकरण स्थल पर गए थे। उन्होंने लौटकर जो रिपोर्ट बनाई वह 8 अप्रैल को छपी। उसका पहला पैराग्राफ कुछ इस तरह था- ''तालाब में जाने के लिए एक कोने में बाकायदा पार फूटी हुई थी।

इसी रास्ते से होकर श्रीमती गांधी को तालाब के भीतर ले जाया गया था। वहां मिट्टी के भीतर एक गेंदे की माला अभी भी दबी पड़ी थी। उसके पास ही जमीन पर जमे सिंदूर की लाली और कुछ दूरी पर नारियल की टूटी हुई ताजा खोपड़ी।

टीका लगाने और आरती उतारने की याद के लिए यह सब काफी था।'' इस एक पैराग्राफ ने ही सरकारी कामकाज की तल्ख हकीकत सामने रख दी थी। हमने इसी वाक्य के आधार पर मुख्य शीर्षक बना धारावाहिक रिपोर्ट छापना शुरू कर दिया।

आर.के. त्रिवेदी राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल के सलाहकार थे। बाद में वे केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त बने। राज्य का प्रशासन उनके ही जिम्मे था। वे इस रिपोर्ट को पढ़कर बेहद खफा हुए। उन्होंने दिल्ली दरबार तक शिकायत की।

(देशबन्धु में 12 सितंबर 2019 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2019/09/10-1980-23-55.html


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