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ललित सुरजन की कलम से - तेजस्वी बिहार

उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद तेजस्वी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर जो आलोचना हुई उसके जवाब में तेजस्वी ने ट्विटर पर यह टिप्पणी की कि-''किसी को भी पुस्तक का सिर्फ आवरण देखकर उसके बारे में राय नहीं बनाना चाहिए

ललित सुरजन की कलम से - तेजस्वी बिहार
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उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद तेजस्वी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर जो आलोचना हुई उसके जवाब में तेजस्वी ने ट्विटर पर यह टिप्पणी की कि-''किसी को भी पुस्तक का सिर्फ आवरण देखकर उसके बारे में राय नहीं बनाना चाहिए।

मीठी शहद और कड़वी दवाई की तरह किसी क्षमता का फायदा थोड़ा वक्त बीत जाने के बाद ही मिलता है।'' तेजस्वी सोच सकते हैं कि उन्होंने अपने विरोधियों को करारा जवाब दे दिया है, लेकिन इतने से बात नहीं बनेगी।

उन्हें आने वाले दिनों में अपनी योग्यता सिद्ध करने के लिए जी-तोड़ परिश्रम करना होगा। हमारी राय में औपचारिक पढ़ाई वांछित तो है, लेकिन राजनीति में सहजबुद्धि की आवश्यकता अधिक पड़ती है।

क्या इस कसौटी पर तेजस्वी खरा उतर पाएंगे। हमने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के कामराज को देखा है जो न हिन्दी जानते थे, न अंग्रेजी, लेकिन एक बेहतरीन प्रशासक सिद्ध हुए। बंशीलाल भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन एक समय उन्होंने हरियाणा का कायाकल्प किया।

(देशबन्धु में 26 नवंबर 2015 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/12/blog-post_20.html


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