ललित सुरजन की कलम से - आशीष अवस्थी की आत्महत्या
'ध्यान से देखें तो किसानों और युवाओं की आत्महत्या के बीच एक गहरा नाता है।

'ध्यान से देखें तो किसानों और युवाओं की आत्महत्या के बीच एक गहरा नाता है। दोनों नवपूंजीवाद के मारे हुए हैं। किसान जब खुदकुशी करता है तो किस्म-किस्म के कारण गिना दिए जाते हैं।
वह बीमार था, पेट दर्द से परेशान था; तो फिर उसका इलाज समय पर और सही रूप में क्यों नहीं हुआ? वह गृहकलह से परेशान था; अच्छा, तो इस गृहकलह का कारण क्या था? वह शराब पीकर मरा; तो उसके लिए गांव-गांव में शराब दूकानें किसने खोलीं?
सच तो यह है कि अधिकतर अंचलों में किसान ने मौत का वरण इसलिए किया कि वह जिस पारंपरिक खेती का अभ्यस्त था, उससे उसे विमुख कर ऐसे नए प्रयोग करने कहा गया जो उसकी सामथ्र्य के परे थे।
उसे अपनी फसल का सही दाम नहीं मिलता, सरकार से मिलने वाले खाद-बीज- कीटनाशक में मिलावट तथा कमी होती है, जो कृषि साधन खरीदने उसे मजबूर किया जाता है वे सब बहुराष्ट्रीय या देशी कारपोरेट द्वारा उत्पन्न तथा मुहैय्या कराए जाते हैं।'
(देशबन्धु में 18 अगस्त 2016 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2016/08/blog-post_17.html


