ललित सुरजन की कलम से - विपक्ष : आत्ममंथन का समय
'भारतीय जनता पार्टी की विजय के बाद कांग्रेस व कुछ अन्य दलों ने अपनी हार पर आत्ममंथन करना प्रारंभ कर दिया है

'भारतीय जनता पार्टी की विजय के बाद कांग्रेस व कुछ अन्य दलों ने अपनी हार पर आत्ममंथन करना प्रारंभ कर दिया है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सही समय पर कदम उठाते हुए शनिवार को ही अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया।
उसके बाद जदयू के अध्यक्ष शरद यादव ने साफ-साफ कहा कि बदले हुए हालात में वे लालूप्रसाद के साथ मतभेद समाप्त करने के लिए तैयार हैं। इस बारे में जो भी फैसला होगा, वह आज का अंक छपने के पहले ही पाठकों के सामने आ जाएगा।
मैं नीतीश कुमार की उनकी पहल के लिए सराहना करता हूं। उन्होंने संदेश दिया है कि सत्ता से परे भी राजनीति होती है। अगर जदयू व राजद के बीच समझौता होता है तो वह भी स्वागतयोग्य होगा।
सच पूछिए तो विभिन्न समाजवादी धड़ों के बीच व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की ही लड़ाइयां थीं। उनके बीच कोई नीतिगत मतभेद तो थे नहीं। यह सच्चाई मुलायम सिंह को भी समझ आ जाए तो बेहतर है।
मेरा समाजवादी पार्टी के मित्रों से आग्रह है कि उन्हें अब लोहियावादी रास्ता छोड़कर आचार्य नरेन्द्रदेव व आचार्य कृपलानी जैसों के बताए पथ पर चलना चाहिए जहां व्यक्तिगत कुंठा की नहीं, बल्कि विचारों की राजनीति हो सकती है।'
(देशबन्धु में 19 मई 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/05/blog-post_8505.html


