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ललित सुरजन की कलम से- तेल के दाम और प्रवासी भारतीय

'भारत सरकार को मजदूरी करने विदेश गए इन मजबूर नागरिकों के साथ कोई प्रेम नहीं है

ललित सुरजन की कलम से- तेल के दाम और प्रवासी भारतीय
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'भारत सरकार को मजदूरी करने विदेश गए इन मजबूर नागरिकों के साथ कोई प्रेम नहीं है। सच पूछिए तो देश के भीतर भी जो मजदूर एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश काम की तलाश में जाते हैं उनकी ओर भी हमारी सरकारें कहां ध्यान देती हैं!

यह एक विडंबना है कि समृद्ध देशों में जा बसे समृद्ध भारतवंशियों के प्रति हमारा प्रेम ऐसा उमड़ता है कि बस पूछिए मत। उनके लिए सुविधाओं और सम्मान में कोई कसर बाकी नहीं रह जाती, फिर भले ही वे भारत कभी न लौटना चाहते हों।

लेकिन जो भारतीय विदेशों में जाकर खून-पसीना एक करते हैं उनके प्रति हमारी सरकार उस वक्त तक दुर्लक्ष्य करती है जब तक कि कोई बड़ी वारदात न हो जाए, जैसा कि अभी सऊदी अरब में हुआ।'

(देशबन्धु में 11 अगस्त 2016 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2016/08/blog-post_11.html


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