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ललित सुरजन की कलम से - संसाधनों का राष्ट्रीयकरण!
'पंडित नेहरू साम्यवादी नहीं थे। वे साम्यवाद के अच्छे पहलुओं को स्वीकार करने के लिए तैयार रहते थे

'पंडित नेहरू साम्यवादी नहीं थे। वे साम्यवाद के अच्छे पहलुओं को स्वीकार करने के लिए तैयार रहते थे, लेकिन साम्यवाद के तौर-तरीकों से उन्हें कुछ बुनियादी आपत्तियां थीं और देश के भीतर साम्यवादी दल की रीति-नीति को लेकर उन्हें बहुत से संदेह भी थे।
वे एक खुले विचारों वाले व्यक्ति थे और देश के नव-निर्माण में सबसे यथायोग्य योगदान की अपेक्षा करते थे। जब देशी उद्योगपतियों ने उन्हें बॉम्बे प्लान दिया तो उसको उन्होंने बिना देखे खारिज नहीं किया।
किन्तु उनकी दृढ़ मान्यता थी कि स्वतंत्र भारत में सार्वजनिक क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभाएगा। आर्थिक गतिविधि का कोई भी आयाम हो, वे मानते थे कि उसकी कमान केन्द्र सरकार के पास होना चाहिए।'
(देशबन्धु में 08 नवम्बर को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/11/blog-post.html
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