ललित सुरजन की कलम से - भगवान ने सवाल पूछा!
एक रोचक खबर ट्विटर पर पढ़ने मिली कि सचिन तेंदुलकर ने राज्यसभा में तीन साल बीतने के बाद पहली बार कोई प्रश्न पूछा। इस पर मैंने टीका की- ''हे भगवान, जब स्वयं भगवान सवाल पूछने लगे तो हम सामान्य मनुष्यों के सवालों का उत्तर कौन देगा

एक रोचक खबर ट्विटर पर पढ़ने मिली कि सचिन तेंदुलकर ने राज्यसभा में तीन साल बीतने के बाद पहली बार कोई प्रश्न पूछा। इस पर मैंने टीका की- ''हे भगवान, जब स्वयं भगवान सवाल पूछने लगे तो हम सामान्य मनुष्यों के सवालों का उत्तर कौन देगा।'' यह तो हुई मजाक की बात।
किन्तु इस बहाने अपने समय की एक चिंताजनक सच्चाई पर विचार करने का मौका हाथ लग गया है। हमने न जाने कब क्यूं अमिताभ बच्चन व सचिन तेंदुलकर इत्यादि को महानायक और शताब्दी पुरुष जैसे विशेषणों से नवाज दिया। जहां कुछेक आध्यात्मिक गुरु यथा ओशो रजनीश, श्रीराम शर्मा, सत्य साईं बाबा आदि स्वयं को भगवान कहलाने लगे थे मानो उन्हीं का बराबरी करते हुए ग्लैमर की दुनिया के इन सितारों को भी हमने भगवान बना डाला।
मुझे संदेह होता है कि योग गुरु बाबा रामदेव भी इनके पीछे-पीछे ही चल रहे हैं। उन्होंने स्वयं को नोबेल पुरस्कार का अधिकारी तो घोषित कर ही दिया है। वे भी किसी दिन भारत रत्न से अलंकृत हो जाएं तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा।
(देशबन्धु में 10 दिसंबर 2015 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/12/blog-post_9.html


