Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से - देशबन्धु : चौथा खंभा बनने से इंकार- 24

'दिग्विजय सिंह के शासनकाल की सबसे बड़ी परिघटना छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की है

ललित सुरजन की कलम से - देशबन्धु : चौथा खंभा बनने से इंकार- 24
X

'दिग्विजय सिंह के शासनकाल की सबसे बड़ी परिघटना छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की है। भारतीय जनता पार्टी के अजेंडे में तीन नए राज्यों की स्थापना का मुद्दा पहले से था। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस सहित सभी पार्टियां नए राज्य गठन का समर्थन कर रहीं थीं।

एकमात्र मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर इसके विरोध में थी। मैं जितना समझ पाया, दिग्विजय सिंह ने मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। विधानसभा में नए राज्य के लिए प्रस्ताव भी आसानी से पारित हो गया।

लेकिन जब राज्य गठन के लिए व्यवहारिक तैयारियां शुरू हुईं तब मुख्यमंत्री का एक नया रुख देखने मिला। परिसंपत्तियों के बंटवारे, अधिकारियों- कर्मचारियों के कैडर आबंटन आदि विषयों पर एक तयशुदा फार्मूले के अंतर्गत काम होना था। उसमें बारंबार बदलाव किए गए।

मुख्यमंत्री जिन अधिकारियों से नाराज थे या जो उनकी निगाह में नाकाबिल थे, उन्हें छत्तीसगढ़ भेजने की हर संभव कोशिश की गई और जो चहेते अफसर थे, उन्हें किसी न किसी बहाने भोपाल में रोक लिया गया।

परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ आए अफसरों में लंबे समय तक आक्रोश बना रहा। कुछ ने तो अदालत तक की शरण ली। लेकिन इस सब के बीच 31 अक्तूबर 2000 की शाम मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल के निवास 'राधेश्याम भवन' पर उत्तेजित कांग्रेसजनों के क्रोध का सामना जिस संयम के साथ किया, मुख्यमंत्री होते हुए शारीरिक आक्रमण को भी झेल लिया, और अजीत जोगी को हाईकमान की इच्छानुसार मुख्यमंत्री बनने देने में बाधा उत्पन्न नहीं होने दी, वह उनके राजनीतिक कौशल की सबसे बड़ी परीक्षा थी, जिसमें वे स्वर्ण पदक विजेता सिद्ध हुए। भले ही नए राज्य के इतिहास में यह पूर्व संध्या एक शर्मनाक घटना के रूप में दर्ज की गई हो।'

(देशबन्धु में 19 नवंबर 2020 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2020/11/24.html


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it