ललित सुरजन की कलम से - कांग्रेस का नेहरू को याद करना
'मैं 17 तारीख को सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उपस्थित था। विदेश से आए विशिष्ट अतिथियों ने पंडित नेहरू को जिस भावुकता के साथ स्मरण किया उससे मैं प्रभावित हुआ

'मैं 17 तारीख को सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उपस्थित था। विदेश से आए विशिष्ट अतिथियों ने पंडित नेहरू को जिस भावुकता के साथ स्मरण किया उससे मैं प्रभावित हुआ। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने याद किया कि उनके स्कूल की किताब में नेहरूजी का निबंध था तथा उस पाठ में नेहरूजी ने भारत माता को जिस तरह से परिभाषित किया था उसने उनके मन में एक गहरी छाप छोड़ी थी। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री व कम्युनिस्ट नेता माधव नेपाल ने नेहरूजी की विश्वमंच पर प्रभावी भूमिका का जिक्र किया और यह भी बताया कि उनके द्वारा गठित योजना आयोग से किस तरह नेपाल को भी प्रेरणा मिली।'
'अरब लीग के अध्यक्ष और इजिप्त के पूर्व विदेशमंत्री अमरे मूसा ने गुट निरपेक्ष आंदोलन खड़ा करने में पंडित नेहरू की भूमिका का जिक्र किया तथा अरब मुल्कों (विशेष कर इजिप्त) के साथ नेहरू युग के समय विकसित और प्रगाढ़ हुए संबंधों को रेखांकित किया। घाना के पूर्व राष्ट्रपति जॉन कूफोर ने भी अफ्रीकी देशों के स्वाधीनता संग्राम को नेहरूजी से मिले समर्थन व सहयोग का उल्लेख अपने वक्तव्यों में किया। किन्तु इन सबसे ज्यादा प्रभावी व्याख्यान भूटान की राजमाता का था। उन्होंने बताया कि 1954 की गणतंत्र दिवस परेड में भूटान नरेश मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे और इस तरह दोनों पड़ोसी देशों के बीच प्रगाढ़ संबंधों की नींव पड़ी जो आज तक चली आ रही है। एक छोटे पड़ोसी देश को पंडितजी ने बराबरी का दर्जा दिया, यह भाव भी उनकी बात में था।'
(देशबन्धु में 27 नवंबर 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/11/blog-post_30.html


