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ललित सुरजन की कलम से - कावेरी, कोडगू, कॉफी, कोको

"अच्छा तो आप दक्षिण का काश्मीर घूम आए।" यह टिप्पणी एक प्रिय मित्र ने की जब मैंने उन्हें अपनी मड़िकेरी यात्रा के बारे में बताया

ललित सुरजन की कलम से - कावेरी, कोडगू, कॉफी, कोको
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"अच्छा तो आप दक्षिण का काश्मीर घूम आए।" यह टिप्पणी एक प्रिय मित्र ने की जब मैंने उन्हें अपनी मड़िकेरी यात्रा के बारे में बताया। उनका कहना सही था। काश्मीर घाटी में यदि चिनार और पॉप्लर हैं तो कोडगू घाटी में नारियल और सुपारी के आकाश से होड़ लेते दरख्त हैं।

वहां केशर है, तो यहां इलायची, जायफल, जावत्री और लौंग। वहां झेलम है, तो यहां कावेरी। वहां हिमालय की पर्वतमाला है, तो यहां सघन हरियाली में डूबी नीलगिरी की शृंखला।

कोडगू याने कुर्ग जिले का मुख्यालय मड़िकेरी में है जिसे पहले मरकरा के नाम से जाना जाता था। यह वह जिला है जिसने भारत को फील्ड मार्शल करियप्पा तथा जनरल थिमैय्या जैसे सेनानायक दिए।

बहुत तारीफ सुन रखी थी कर्नाटक के दक्षिण-पश्चिम में बसे इस पर्वत प्रदेश की। यह भी सुना था कि यहां के स्त्री-पुरुष अतीव सुंदर होते हैं, वहां पहुंचकर अनुमान हुआ कि यह एक अतिशयोक्ति थी।

(देशबन्धु में 27 अगस्त 2015 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/07/blog-post_9.html


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