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ललित सुरजन की कलम से - आडंबर के विरुद्ध
'1994 के अंत या 1995 की शुरूआत में 'हम आपके हैं कौन' फिल्म आई थी।

'1994 के अंत या 1995 की शुरूआत में 'हम आपके हैं कौन' फिल्म आई थी। इसने वैवाहिक या अन्य पारिवारिक समारोहों को लेकर भारतीय समाज की सोच बदलने में भारी भूमिका निभाई। यही दौर था जब देश में तथाकथित आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर प्रारंभ हो चुका था। 'डोन्ट वरी बी हैप्पी' जैसे नारे गूंजने लगे थे। 'इंडिया हैज अराइव्ड' का उद्घोष होने लगा था। यही वक्त था जब देश का राजनीतिक विमर्श गरीबी, बेरोजगारी, रोटी, कपड़ा, मकान से हटकर जीडीपी दर पर केन्द्रित होने लगा था, शेयर बाजार ने उछाल लेना शुरू किया था और वायदा कारोबारी हर्षद मेहता देश के युवाओं का आदर्श बन गया था।'
(अक्षर पर्व अप्रैल 2017 अंक की प्रस्तावना)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/04/blog-post_10.हटम्ल
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