ललित सुरजन की कलम से - तेल के दाम और प्रवासी भारतीय
'दो साल पहले तक विश्व बाजार में खनिज तेल की कीमत एक सौ पचास डालर प्रति बैरल के आसपास थी

'दो साल पहले तक विश्व बाजार में खनिज तेल की कीमत एक सौ पचास डालर प्रति बैरल के आसपास थी, वह कम होते-होते चालीस डालर के न्यूनतम स्तर पर आ गिरी है। जानकारों का कहना है कि कीमतें और घट सकती हैं।
तेल की कीमतों में आई इस गिरावट के पीछे अनेक कारण गिनाए गए हैं। जैसे अमेरिका में नई विधि से धरती के बहुत नीचे जाकर तेल उत्खनन करना, आधुनिक टेक्नालॉजी के प्रयोग से उद्योगों में पहले की बनिस्बत तेल की कम खपत, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों यथा पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा का विकास और इन सबसे बढक़र तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक द्वारा अधिकाधिक तेल उत्खनन करना।
यहां एक विरोधाभास दिखाई देता है। ओपेक देश अधिक तेल उत्खनन में जुटे हुए हैं जबकि विश्व बाजार में उतनी आवश्यकता नहीं है। यह तस्वीर का एक पहलू है। हमारे लिए यह समझना अधिक आवश्यक है कि भारत के ऊपर इसका क्या असर पड़ रहा है।'
(देशबन्धु में 11 अगस्त 2016 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2016/08/blog-post_11.html


