क्षमा, उदारता, करुणा खास भारतीय पहचान
पिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर बुधवार सुबह उनके आवास पर जनसुनवाई के दौरान एक शख्स ने हमला करने की कोशिश की

- सर्वमित्रा सुरजन
क्षमा, माफी, खुले दिल से विरोधी विचार को स्वीकार करना या उसके लिए स्थान बनाना, जीव मात्र के लिए करुणा, उदारता यह भारतीयता की ऐसी विशिष्ट पहचान है, जिसके उदाहरण भगवानों, देवदूतों से लेकर सामान्य इंसान तक मिलते रहे हैं। लेकिन अब इस खास भारतीय पहचान को मिटाने की कोशिशें तेज हैं। इसे खास पहचान को हर हाल में बचाना होगा।
पिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर बुधवार सुबह उनके आवास पर जनसुनवाई के दौरान एक शख्स ने हमला करने की कोशिश की। घटना के बाद आरोपी को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया और मुख्यमंत्री भी सुरक्षित हैं। लेकिन इस प्रकरण पर तरह-तरह के बयान सामने आने लगे। रेखा गुप्ता को थप्पड़ जड़े जाने की खबरें सामने आईं, वहीं दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने तो पत्रकारों से यहां तक कह दिया कि आरोपी ने रेखा गुप्ता को बहुत देर तक जमीन पर गिराकर रखा था। वो शख्स अकेले उन पर हमला करने के इरादे से आया था। इस अतिरेकपूर्ण बयान से समझा जा सकता है कि भाजपा कैसे इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाना चाहती है। जनसुनवाई के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ा रहता है और मुख्यमंत्री को जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध है, जिसमें लगभग 22-25 सुरक्षाकर्मी होते हैं, जिनमें पीएसओ, एस्कॉर्ट्स, वॉचर्स और लगभग आठ हथियारबंद गार्ड शामिल रहते हैं। मुख्यमंत्री के साथ उनके निजी सहायक, सचिव व अन्य स्टाफ भी मौजूद रहता ही है। ऐसे में यह नामुमकिन है कि कोई निहत्था शख्स मुख्यमंत्री को बहुत देर तक जमीन पर गिराकर रखे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस घटना का दूसरा पहलू बताया है कि, 'जनसुनवाई के दौरान एक शख्स रेखा गुप्ता के पास आया, कुछ कागज़ उनके आगे रखे और फिर उनका हाथ पकड़कर खींचने की कोशिश की. उस दौरान थोड़ी धक्का-मुक्की हुई, जिसके बाद उसे पकड़ लिया गया। उनका मानना है कि हो सकता है इसमें मेज का कोना उनके सिर पर लगा हो, जिससे चोट लगी हो। लेकिन मुख्यमंत्री को फौरन अस्पताल ले जाया गया और वे बिल्कुल स्वस्थ हैं। भाजपा अध्यक्ष के इस वक्तव्य के बाद यह जाहिर है कि मनजिंदर सिरसा ने मिथ्यावाचन किया है। लेकिन जब संसद के भीतर केन्द्रीय मंत्री गलतबयानी से बाज़ नहीं आते हैं, तो फिर बाकी नेताओं से क्या उम्मीद की जाए। कायदे से श्री सिरसा को अपने अतिरेकपूर्ण झूठ के लिए माफी मांगनी चाहिए, लेकिन भाजपा की राजनीति शायद इसकी इजाज़त नहीं देगी। वैसे संयोग ही है कि महीने भर पहले ही श्री सिरसा पर गोली चलाने की अफवाह उड़ी थी। दरअसल वे ख्याला इलाके में फैक्ट्री का दौरा करने गए थे तो गली में एक धातु का टुकड़ा मिला, जो दूर से देखने पर खाली कारतूस जैसा लग रहा था। करीब से जांच करने पर पता चला कि यह सिलाई मशीन का हिस्सा है। जिसके बाद खबर फैली कि मनजिंदर सिरसा पर गोली चलाई गई है। हालांकि खुद उन्होंने इसे अफवाह करार दिया था।
बहरहाल, यह घटना महिला सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। अगर राजधानी में एक महिला मुख्यमंत्री ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम महिलाओं की सुरक्षा का दावा सरकार कैसे कर सकती है। रेखा गुप्ता पर हमला करने वाले शख्स से पुलिस पूछताछ कर रही है। आरोपी का नाम राजेश खिमजी बताया जा रहा है, जो राजकोट का रहने वाला है। आरोपी की मां भानुबेन ने पत्रकारों को बताया कि उनका बेटा पशु प्रेमी था, तो हो सकता है कि लावारिस कुत्तों को पकड़ने की जो मुहिम इस समय चल रही है, उस पर नाराजगी में यह कदम उठाया गया हो। हालांकि राजनीति हो या जीवन का कोई भी पहलू किसी भी किस्म की छोटी या बड़ी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। लेकिन हाल-फिलहाल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिन पर समाज को चिंतित होना चाहिए। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि , 'हमने पहले भी ऐसी घटनाएं देखी हैं जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हमलों का सामना करना पड़ा था। उस समय भाजपा उन हमलों का जश्न मनाती थी। अब दिल्ली में एक महिला नेता पर हमला हुआ है। यह बेहद चिंताजनक है और गृह मंत्रालय से सवाल पूछे जाने चाहिए, क्योंकि दिल्ली पुलिस और कानून-व्यवस्था उनके अधीन आती है। अगर नेता ही असुरक्षित हैं तो दिल्ली के नागरिक कैसे सुरक्षित रह सकते हैं? बता दें कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के अलावा कन्हैया कुमार पर भी हमला हो चुका है। वहीं सांसद बनने के बाद कंगना रानौत को विमानतल पर सुरक्षाकर्मी ने नाराजगी में आकर थप्पड़ मारा था। 2012-13 में जब अन्ना हजारे के आंदोलन के कारण मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ माहौल बनाया जा चुका था, उस वक्त केन्द्रीय मंत्री शरद पवार के गाल पर चांटा मारा गया था तो अन्ना हजारे ने कहा था केवल एक ही गाल पर क्यों? इस प्रसंग पर मीडिया ने चटखारे लिए थे। इससे पहले गृहमंत्री चिदंबरम पर जूता फेंका गया था। विरोधी विचार रखने वालों पर शाब्दिक और शारीरिक दोनों तरह की हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं।
अफसोस इस बात का है कि खुद रेखा गुप्ता हिंसा को समर्थन देने वाले बयान दे चुकी हैं और खुद इस तरह का व्यवहार कर चुकी है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर उनका एक घटिया बयान फिर चर्चा में आ गया है, जिसमें उन्होंने चुटकु ला बताकर लिखा था कि केजरीवाल से मीडिया ने सवाल किया कि आपको कैसे पता कि मोदी आपको मारना चाहते हैं, तो केजरीवाल ने कहा कि मैंने उन्हें बाजार से लाल हिट खरीदते देखा है। जब रेखा गुप्ता को 2023 में भाजपा की तरफ से एमसीडी का मेयर प्रत्याशी बनाया गया था, उस दौरान आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों के बीच जमकर हंगामा हुआ था, जिसके एक वीडियो में रेखा गुप्ता को तोड़-फोड़ करते देखा जा सकता है। हाल ही में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक चर्चा में रेखा गुप्ता ने हास्य कलाकार कुणाल कामरा के लिए कहा था कि वे अपने जोखिम पर दिल्ली आकर कार्यक्रम कर सकते हैं।
ये सारे प्रकरण बताते हैं कि रेखा गुप्ता चाहे जो कह लें, अहिंसा में उनका यकीन नहीं हैं। भाजपा में वे अपवाद भी नहीं हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी कह चुके हैं कि खास मकसद से की गई कोई भी हिंसा धर्म सम्मत मानी जानी चाहिये। गृहमंत्री अमित शाह घुसपैठियों की तुलना जब दीमक से करते हैं, तो मन में घृणा से कुचलने का भाव ही होता है। खुद प्रधानमंत्री मोदी चौराहे पर बुलाकर लटका देना और घर में घुसकर मारने जैसी बातें कह चुके हैं। जनता चाहे तो इन बातों को ये सब तो न्यू नार्मल है, कहकर नजरंदाज कर दे या फिर गंभीरता से सोचे कि बुद्ध, अशोक और गांधी के देश में कब और कैसे हिंसा को इतना सामान्य व्यवहार मान लिया गया। हम अभी और भविष्य का समाज कैसा चाहते हैं यह हमारे नजरिए पर ही निर्भर करेगा।
ऐसा भी नहीं है कि देश के सामने दूसरे विचारों का विकल्प नहीं है। 20 अगस्त को ही राजीव गांधी की जयंती पर प्रियंका गांधी ने उन्हें याद करते हुए लिखा है कि विरासत में आप से करुणा, प्रेम और देशभक्ति का धर्म मिला। हम दोनों हमेशा के लिए ये धर्म निभायेंगे। न कोई तोड़ पाएगा, न कोई रोक पाएगा, न कभी हमारे कदम लड़खड़ायेंगे। प्रियंका गांधी के ये शब्द कोरी लफ्फाज़ी नहीं है, उनका जीवन सत्य भी है। राजीव गांधी की नृशंस हत्या में शामिल लिट्टे का साथ देने वाली नलिनी श्रीहरन से वेल्लोर सेंट्रल जेल जाकर प्रियंका गांधी ने मुलाकात की थी और उन्हें माफ किया था। नलिनी के मुताबिक प्रियंका गांधी ने उनसे हत्या को लेकर सवाल किए थे और सब कुछ सुनने के बाद रो पड़ी थीं। नलिनी का कहना है कि वो गांधी परिवार की आभारी है। प्रियंका गांधी ने जिस उदारता का परिचय दिया वह अद्भुत है। जो व्यक्ति किसी भी तरह आपके पिता की हत्या में शामिल रहा हो, उससे मन में क्षमा का भाव लेकर मिलना हर किसी के लिए संभव नहीं है। प्रियंका गांधी को न केवल राजीव गांधी से बल्कि सोनिया गांधी से भी विरासत में उदारता मिली है। जब नलिनी को राजीव गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, तब वह गर्भवती थी। उसकी प्रेग्नेंसी को दो महीने हो गए थे। तब सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है। इसी तरह 1999 में फादर ग्राहम स्टेंस और उनके दो मासूम बेटों की भीड़ ने जलाकर हत्या कर दी थी, और उनके हत्यारों को सजा सुनाई गई थी, लेकिन उनकी पत्नी, ग्लेडिस स्टेंस, ने अपने परिवार के हत्यारों के प्रति कोई कड़वाहट न रखने की बात कही थी। ग्लेडिस स्टेंस का कहना है कि उन्होंने क्षमा की शक्ति से अपने मन से नफरत को दूर कर दिया है।
क्षमा, माफी, खुले दिल से विरोधी विचार को स्वीकार करना या उसके लिए स्थान बनाना, जीव मात्र के लिए करुणा, उदारता यह भारतीयता की ऐसी विशिष्ट पहचान है, जिसके उदाहरण भगवानों, देवदूतों से लेकर सामान्य इंसान तक मिलते रहे हैं। लेकिन अब इस खास भारतीय पहचान को मिटाने की कोशिशें तेज हैं। इसे खास पहचान को हर हाल में बचाना होगा।


