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ललित सुरजन की कलम से - छोटे राज्य व अन्य इकाइयां
'देश में निर्वाचित सांसदों और विधायकों के ऊपर भी जनप्रतिनिधि का भार लगातार बढ़ रहा है

'देश में निर्वाचित सांसदों और विधायकों के ऊपर भी जनप्रतिनिधि का भार लगातार बढ़ रहा है। किसी समय दस लाख की आबादी पर एक लोकसभा सदस्य और एक लाख की आबादी पर एक विधानसभा सदस्य का चुनाव होता था।
आज यह औसत दुगुने से ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में यह लगभग असंभव है कि कोई निर्वाचित प्रतिनिधि अपने निर्वाचन क्षेत्र का पर्याप्त ध्यान दे सके। हमारा सुझाव है कि सभी राजनीतिक दल इस बारे में मिल-बैठकर तय करें कि लोकसभा क्षेत्र में दस लाख व विधानसभा क्षेत्र में एक लाख आबादी की सामान्य सीमा हो।
ऐसा होने से सत्ता का विकेंद्रीकरण सही मायनों में हो सकेगा व जनप्रतिनिधियों व मतदाताओं के बीच की दूरी भी कम होगी।'
(देशबंधु में 27 फरवरी 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/02/blog-post_26.html
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