दोहा पर किया हमला बढ़ायेगा इज़रायल की मुसीबतें
यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भी व्यक्तिगत अपमान था क्योंकि उन्होंने इस साल मई में 1200 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिका-कतर आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर करते समय इस समझौते को 'ऐतिहासिक' बताया था

- वाप्पला बालाचंद्रन
यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भी व्यक्तिगत अपमान था क्योंकि उन्होंने इस साल मई में 1200 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिका-कतर आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर करते समय इस समझौते को 'ऐतिहासिक' बताया था। नतीजा यह हुआ कि अमेरिका हमले की निंदा करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अन्य सदस्यों के साथ शामिल हो गया। यह एक अभूतपूर्व कदम था क्योंकि अमेरिका हमेशा इज़रायल विरोधी प्रस्तावों को वीटो करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने आरोप लगाया कि इज़रायली सरकार का नेतृत्व 'कू्रर चरमपंथियों द्वारा किया जा रहा है।'
जैसे-जैसे इज़रायल गज़ा के ख़िलाफ़ अपने जमीनी हमलों को तेज कर रहा है, संकेत हैं कि नेतन्याहू सरकार को 9 सितंबर, 2025 को दोहा में हमास कार्यालय पर हमला करना भारी पड़ रहा है। यूनाइटेड किंगडम (यूके) के स्वास्थ्य सचिव वेस स्ट्रीटिंग ने 9 सितंबर को चेतावनी दी कि 'गज़ा युद्ध से निपटने के लिए नेतन्याहू सरकार इज़रायल को अछूत बनाने की स्थिति में ले जा रहा है।'
यह बयान ब्रिटिश यहूदी समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए इज़रायल के राष्ट्रपति हज़ोर्ग की ब्रिटेन यात्रा की पूर्व संध्या पर था। हज़ोर्ग के कार्यालय ने आरोप लगाया था कि 'ब्रिटिश यहूदी समुदाय गंभीर हमले और यहूदी विरोधी भावना की लहर का सामना कर रहा है।' हालांकि स्ट्रीटिंग ने जोर देकर कहा कि हज़ोर्ग को 'इज़राइल की सरकार पर लगाए जा रहे युद्ध अपराधों, जातीय सफाए और नरसंहार के आरोपों का जवाब देने की जरूरत है।'
एक इज़रायली वामपंथी पत्रिका '972 पत्रिका' ने दिसंबर 2014 में एक सर्वेक्षण में कहा कि 70 प्रतिशत से अधिक इज़रायली अंतरराष्ट्रीय अलगाव के बारे में चिंतित थे। हाल ही में पत्रिका 'विदेश नीति' ने कहा था कि विदेशी व्यापार और निवेश पर बहुत अधिक निर्भर रहने वाला इज़रायल हमेशा पश्चिमी लोकतंत्रों का हिस्सा बनना चाहता है क्योंकि ईरान और रूस के विपरीत उसके पास 'प्रतिबंधों और वैश्विक अस्वीकृति के साथ आर्थिक, सैन्य और मनोवैज्ञानिक रूप से सामना करने' के लिए कम लचीलापन है।
गौरतलब है कि 8 सितंबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने 10, डाउनिंग स्ट्रीट पर फिलिस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महमूद अब्बास की मेजबानी की थी। बताया जाता है कि 'यदि इज़रायल अपना रास्ता नहीं बदलता तो प्रधानमंत्री ने इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने का वादा किया है'। स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे पहले ही मान्यता की घोषणा कर चुके हैं जबकि फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने में 140 से अधिक अन्य देशों सहित बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, कनाडा तथा माल्टा ने ब्रिटेन और फ्रांस का साथ देने की योजना बनाई है।
'लॉस एंजिल्स टाइम्स' ने 11 सितंबर के अंक में लिखा है खाड़ी राज्यों में अमेरिकी विश्वसनीयता पहली बार आहत हुई जब इजरायल ने 9 तारीख को दोहा में हमास के कार्यालय पर हमला किया। इन राज्यों ने सोचा था कि उनकी सुरक्षा' उनके अरबों पेट्रोडॉलर और समझौतों के साथ सुनिश्चित की गई थी जिसने अमेरिका को अपनी कुछ सबसे बड़ी सैन्य सुविधाओं के साथ मध्य पूर्व में घेराबंदी करने की अनुमति दी'। यह विशेष रूप से अविश्वसनीय था कि अपने अस्तित्व के लिए मुख्य रूप से अमेरिका पर निर्भर रहने वाला इज़रायल, इस क्षेत्र में सबसे बड़े अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठान अल उदीद एयर बेस की मेजबानी करने वाले कतर पर हमला कर सकता है।
यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भी व्यक्तिगत अपमान था क्योंकि उन्होंने इस साल मई में 1200 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिका-कतर आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर करते समय इस समझौते को 'ऐतिहासिक' बताया था। नतीजा यह हुआ कि अमेरिका हमले की निंदा करने में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अन्य सदस्यों के साथ शामिल हो गया। यह एक अभूतपूर्व कदम था क्योंकि अमेरिका हमेशा इज़रायल विरोधी प्रस्तावों को वीटो करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने आरोप लगाया कि इज़रायली सरकार का नेतृत्व 'कू्रर चरमपंथियों द्वारा किया जा रहा है।'
ट्रम्प ने व्यक्तिगत रूप से यह कहकर अपनी नाराजगी जाहिर की कि इस हमले ने 'इज़रायल या अमेरिका के लक्ष्यों को आगे नहीं बढ़ाया' क्योंकि अमेरिका की मर्जी के मुताबिक ही कतर 2012 से इज़रायल के साथ 'अप्रत्यक्ष वार्ता' के लिए हमास नेताओं की मेजबानी कर रहा था। इसके अलावा सितंबर, 2020 में ट्रम्प द्वारा इज़रायल-अरब राज्यों के संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में शुरू किया गया 'अब्राहम समझौता' टूट गया क्योंकि समझौते पर हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक महत्वपूर्ण देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 'कतर को लक्षित करने वाले स्पष्ट और कायरतापूर्ण इज़रायली हमले' की निंदा की।
अबू धाबी ने इज़रायल के राजदूत को यह बताने के लिए बुलाया कि खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सदस्य देश के खिलाफ किसी भी आक्रामकता को 'सामूहिक खाड़ी सुरक्षा ढांचे पर हमला' माना जाता है। कतर पर हुआ यह हमला खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों में से किसी देश पर इज़रायल का पहला सीधा हमला था। इससे पहले भी वेस्ट बैंक के विलय पर नियोजित चर्चा पर नेतन्याहू सरकार की खुली धमकी के बाद अबू धाबी और इज़रायल के बीच संबंध बिगड़ने लगे थे जिसके बारे में यूएई ने कहा था कि इससे 'खतरे की रेखा' बनेगी।
'पोलिटिको' ने 9 सितंबर को बताया कि ट्रम्प और उनके शीर्ष सहयोगी यह सवाल कर रहे थे कि हमले को अधिकृत करने वाले नेतन्याहू क्या बातचीत में तोड़फोड़ करने की कोशिश कर रहे थे। उसने व्हाइट हाउस के एक अंदरूनी सूत्र के हवाले से कहा- 'हर बार जब वार्ता में प्रगति होती दिखाई देती है तो ऐसा लगता है कि वे किसी पर बम फेंक देते हैं। उस सूत्र ने कहा कि यही कारण है कि राष्ट्रपति और उनके सहयोगी नेतन्याहू से इतने निराश हैं।'
इज़रायली अखबार 'हारेत्ज़' ने 13 सितंबर को बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने दोहा में हमास नेताओं पर इज़रायल के हमले के कुछ दिनों बाद न्यूयॉर्क में कतर के प्रधानमंत्री के साथ रात्रि भोज किया। उनके साथ अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी शामिल हुए।
नेतन्याहू ने आरोप लगाया था कि कतर हमास के आतंकवादियों को पनाह देने के अलावा उन्हें धन प्रदान करने वाला मुख्य देश भी है। स्वतंत्र पर्यवेक्षकों ने इस आरोप से इंकार किया। उन्होंने 2023 में 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' में अमेरिका में कतर के राजदूत शेख मेशाल बिन हमद अल थानी के लेख का हवाला दिया कि वाशिंगटन चाहता था कि कतर 'हमास के साथ संचार की अप्रत्यक्ष लाइनें स्थापित करे'।
अल थानी ने कहा था 'हमास कार्यालय की उपस्थिति को समर्थन के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए बल्कि अप्रत्यक्ष संचार के लिए एक महत्वपूर्ण चैनल स्थापित करना चाहिए।' न्यूयॉर्क टाइम्स ने 10 दिसंबर, 2023 को पुष्टि की कि बेंजामिन नेतन्याहू ने गुप्त रूप से दोहा के माध्यम से इस संपर्क को मंजूरी दी थी।
9/11 की बरसी पर एक वीडियो संबोधन में बेंजामिन नेतन्याहू ने दोहा में 'आतंकवादियों' के अड्डे पर हमला करने के लिए इज़रायल के अधिकार होने की बात कही थी। उनका तर्क था कि यह ठीक वैसा ही है जिस तरह 9/11 को हमला करने के लिए आतंकवादियों को भेजने के कारण अमेरिका ने अफगानिस्तान पर 7 अक्टूबर, 2001 को हमला किया था। इस तर्क ने किसी को प्रभावित नहीं किया क्योंकि अमेरिका ने पहले यूएनएससी में प्रस्ताव संख्या 1368 पारित किया था जिसमें 11 सितंबर 2001 को हुए भयानक आतंकवादी हमलों की निंदा की गई थी तथा सभी देशों से इन आतंकवादी हमलों के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए तत्काल एक साथ काम करने का आह्वान किया गया था। अमेरिका ने इसे संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी के रूप में लिया था और ओसामा बिन लादेन को शरण देने वाले अफगानिस्तान पर हमला किया था।
इसके विपरीत इज़रायल, महिलाओं और बच्चों सहित गज़ा के नागरिकों को मानवीय सहायता प्रदान करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों पर लगातार हमला और उनकी हत्या करता रहा है। अमेरिकी डेमोक्रेट सीनेटर क्रिस वान हॉलेन और जेफ मर्कले ने 24 अगस्त से 1 सितंबर के दौरान अपनी यात्रा में इसकी पुष्टि की कि इज़रायल स्थानीय आबादी का 'जातीय सफाया' कर रहा है एवं भूख को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर उन्हें भोजन से वंचित कर रहा है।
ट्रम्प ने 12 सितंबर को भविष्यवाणी की कि जोहरान ममदानी 4 नवंबर को होने वाले न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीतेंगे। अगले दिन ममदानी ने मीडिया से कहा कि वे नेतन्याहू के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के गिरफ्तारी वारंट का सम्मान करेंगे और अगर यदि नेतन्याहू न्यूयॉर्क आते हैं तो वे उन्हें हिरासत में लेंगे।
(लेखक कैबिनेट सचिवालय के पूर्व विशेष सचिव हैं। सिंडिकेट: द बिलियन प्रेस)


