Top
Begin typing your search above and press return to search.

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी

मुल्ला नसरुद्दीन एक सड़क से गुजर रहा था। शाम का समय था और अंधेरा उतर रहा था

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी
X

मैं तुम्हारे कारण यहां हूं और तुम मेरे कारण यहां हो

मुल्ला नसरुद्दीन एक सड़क से गुजर रहा था। शाम का समय था और अंधेरा उतर रहा था। अचानक उसे बोध हुआ कि सड़क बिल्कुल सूनी है, कहीं कोई नहीं है और वह भयभीत हो उठा। तभी उसे सामने से लोगों का एक झुंड आता दिखाई पड़ा। उसने चोरों, डाकुओं और हत्यारों के बारे में पढ़ रखा था। बस उसने भय पैदा कर लिया और भय से कांपने लगा। उसने सोच लिया कि ये डकैत और खूनी लोग आ रहे हैं, और वे उसे मार डालेंगे। तो इनसे कैसे जान बचाई जाए? उसने सब तरफ देखा।

पास में ही एक कब्रिस्तान था। मुल्ला उसकी दीवार लांघकर भीतर चला गया। वहाँ उसी दिन खोदी गई कब्र थी। उसने सोचा कि इसी कब्र में मृत होकर पड़े रहना अच्छा है। उन्हें लगेगा कि कोई मुर्दा पड़ा है; मारने की जरूरत नहीं है और मुल्ला कब्र में लेट गया।

वह भीड़ एक बारात थी, डाकुओं का गिरोह नहीं। बारात के लोगों ने भी मुल्ला को काँपते और कूदते देख लिया था। वे भी डरे और सोचने लगे कि क्या बात है और यह आदमी कौन है? उन्हें लगा कि यह कोई उपद्रव कर सकता है, और इसी इरादे से यहां छिपा है। पूरी बारात वहाँ रुक गई और उसके लोग भी दीवार लांघकर भीतर गए।

मुल्ला तो बहुत डर गया। बारात के लोग उसके चारों तरफ इक_े हो गए और उन्होंने पूछा: 'तुम यहां क्या कर रहे हो? इस कब्र में क्यों पड़े हो?' मुल्ला ने कहा: 'तुम बहुत कठिन सवाल पूछ रहे हो। मैं तुम्हारे कारण यहां हूं और तुम मेरे कारण यहां हो।'

और यही सब जगह हो रहा है। तुम किसी दूसरे के कारण परेशान हो, दूसरा तुम्?हारे कारण परेशान है और तुम खुद अपने चारों ओर सब कुछ निर्मित करते हो। और फिर खुद ही भयभीत होते हो और अपनी सुरक्षा के उपाय करते हो। और तब दुख और निराशा होती है, द्वंद्व और विषाद पकड़ता है; कलह होती है। पूरी बात ही मूढ़तापूर्ण है; और यह सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक तुम्हारी दृष्टि नहीं बदलती। सदा पहले अपने भीतर कारण की खोज करो।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it