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विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर, जहां यमराज की पूजा से बढ़ती है आयु

आपने शायद ही यमराज की पूजा या मंदिर के बारे में सुना होगा, क्योंकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि यमराज की पूजा करने से जल्दी मृत्यु प्राप्त होती है

विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर, जहां यमराज की पूजा से बढ़ती है आयु
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मथुरा। आपने शायद ही यमराज की पूजा या मंदिर के बारे में सुना होगा, क्योंकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि यमराज की पूजा करने से जल्दी मृत्यु प्राप्त होती है। लेकिन, एक ऐसा भी मंदिर है, जहां यमराज की पूजा करने से जीवन काल में वृद्धि होती है।

हम बात कर रहे हैं, मथुरा की पवित्र धरती पर बसे विश्राम घाट पर स्थित यमराज मंदिर की। इसे यमुना यमराज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जहां एक साथ यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा होती है।

मंदिर में मां यमुना चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं और यमराज आशीर्वाद मुद्रा में दिखाई देते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर्फ पूजा ही नहीं करते, बल्कि लंबी आयु और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना भी करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि यमराज की सच्चे मन से पूजा करने पर न केवल मृत्यु का भय दूर होता है, बल्कि आयु भी बढ़ती है।

इस मंदिर से जुड़ी एक बेहद रोचक पौराणिक कथा भी है। कहते हैं कि भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने मथुरा आए थे। बहन ने उनका बहुत आदर-सत्कार किया और उन्हें 56 भोग का प्रसाद खिलाया। प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी भाई दूज के दिन यमुना स्नान कर बहन के घर भोजन करेगा और यमुना-यमराज की पूजा करेगा, उसके जीवन में कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी। तब से यह परंपरा आज तक चली आ रही है।

दूसरी कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण कंस का वध करने के बाद इस घाट पर विश्राम कर रहे थे, तभी यमराज वहां पहुंचे। लेकिन, ब्रह्माजी के आदेश के अनुसार, यमराज किसी भी जीवित मनुष्य के सामने नहीं आ सकते थे, जब तक उसकी मृत्यु का समय न आ जाए। इससे यमराज दुखी हो गए।

श्रीकृष्ण ने उनकी भावनाओं को समझा और प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि इस स्थान पर उनका एक मंदिर बनेगा, जहां लोग आयु वृद्धि के लिए उनकी पूजा करेंगे।

उसी समय से विश्राम घाट स्थित यह मंदिर मृत्यु के देवता यमराज के पूजन का अद्भुत स्थल बन गया। यहां हर साल भाई दूज और कार्तिक माह में हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

कहा जाता है कि इस मंदिर में एक बार पूजा करने से जीवन की नकारात्मकता दूर होती है, और व्यक्ति को आत्मिक शांति प्राप्त होती है।


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