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राजस्थानी रंगीला सांप बना रहा है चंबल को नया आशियाना

उत्तर प्रदेश में चंबल के दुर्गम बीहड़ में वैसे तो सैकड़ो की संख्या में वन्यजीव जलचर पाए जाते है

राजस्थानी रंगीला सांप बना रहा है चंबल को नया आशियाना
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इटावा। उत्तर प्रदेश में चंबल के दुर्गम बीहड़ में वैसे तो सैकड़ो की संख्या में वन्यजीव जलचर पाए जाते है लेकिन अब नए मेहमान के रूप में राजस्थानी सांप इसे अपना आशियाना बना रहा है।

चंबल में मेहमान के रूप में अपना नया आशियाना बना रहे इस सांप की पहचान ब्लैक हेडेड स्नेक के रूप में हुई है। पिछले 7 वर्षों में यह सांप तीन दफा जमीन से बाहर आकर लोगों को डरा चुका है, पहले तो इस रंग-बिरंगे सांप को देखकर के लोग हैरत में पड़ जाते है क्यों कि यह सांप इससे पहले कभी भी लोगो ने देखा नहीं लेकिन अब जब यह सामने आ रहा है लोग समझ नहीं पा रहे है कि यह रंग बिरंगा सांप आखिरकार है कौन ?

एक लंबी अरसे से सांपों को पकड़ने का काम करने वाले ओशन नामक वन्य जीव संस्था के सचिव डॉ.आशीष त्रिपाठी ने इस रंगीले सांप की पहचान ब्लैक हेडेड स्नेक के रूप में की है ।

उनका कहना है कि यह मूल रूप से राजस्थानी सांप है जो राजस्थान की पथरीली पहाड़ियों में पाया जाता है लेकिन चंबल तक आखिरकार यह सांप कैसे पहुंच रहा है इसके पीछे भी कई अहम कारण माने जा सकते हैं।

उनका कहना है कि वह ऐसा मानते हैं कि यह सांप या तो राजस्थान से आने वाले मार्बल पत्थर से भरे ट्रकों के जरिए यहां तक पहुंचा है या फिर चंबल नदी में पानी के जरिए वह करके यहां तक पहुंचा है इसे राजस्थान का शाही सांप भी माना जाता है। त्रिपाठी का कहना है कि यदि यह अब यहां सुरक्षित फल फूल रहा है तो इसको एक शुभ संकेत के रूप में भी देखा जाना चाहिए क्योंकि किसी दूसरे राज्य का दुर्लभ प्रजाति का वन्य जीव किसी दूसरे क्षेत्र में अपना आशियाना बनाने में कामयाब हो रहा है।

उनका कहना है कि राजस्थान का ब्लैक हेडेड स्नेक तीसरी दफा इटावा के किसी क्षेत्र में मिला है जिसको सुरक्षित प्राकृतिक वास में छोड़ दिया गया है।

सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी ने सभी लोगों को दुर्लभ प्रजाति के (विषहीन) ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक (शाही सांप) के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह एक 5 फीट लम्बा विषहीन ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक सांप है जो कि ज्यादातर राजस्थान के पथरीले रेतीले इलाके में ही पाया जाता है इसका जन्तु वैज्ञानिक नाम ‘ स्पैलेरोसोफिस एट्रिसेप्स’ है । इटावा में यह पिछले सात वर्षों में तीसरी बार अलग अलग स्थानों से रेस्क्यू किया गया है जो कहीं से आ गया है लेकिन इसमें कोई जहर नही होता है अतः इससे बिल्कुल भी न डरें ।

उन्होंने बताया कि ब्लैक-हेडेड रॉयल स्नेक भारतीय उपमहाद्वीप मेंटर के कोलुब्रिड परिवार के सदस्यों में से एक है। यह हल्के नारंगी, गुलाबी या पीले रंग का होता है जिसमें बिखरे हुए काले धब्बे होते हैं ज्यादातर रेत चट्टान और झाड़ियों में रहने वाला यह रात्रिचर दुर्लभ सांप पश्चिमी भारत का एक प्रतिष्ठित शाही सांप भी है। इसकी मादा एक बार में लगभग 3 से 8 अंडे देती है।


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