नासिक : 1954 से निरंतर हो रही गांधीनगर सार्वजनिक दुर्गा पूजा, कला और संस्कृति का अनूठा संगम
महाराष्ट्र के नासिक में दुर्गा पंडालों में नवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है। पंडालों में कला, संस्कृति और आधुनिकता का अनोखा संगम भी देखने को मिलता है

गांधीनगर। महाराष्ट्र के नासिक में दुर्गा पंडालों में नवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है। पंडालों में कला, संस्कृति और आधुनिकता का अनोखा संगम भी देखने को मिलता है। नासिक सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति गांधीनगर में 1954 से लगातार दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही है।
गांधीनगर में मां दुर्गा की बड़ी-बड़ी मूर्तियां, खूब साज-सजावट और रोशनी से चमचाते पंडाल बहुत सुंदर लग रहे हैं। नासिक में सार्वजनिक दुर्गा पूजा का आयोजन वर्ष 1954 से निरंतर किया जा रहा है। इस वर्ष पूजा का 72वां वर्ष मनाया जा रहा है। यह पूजा नासिक की सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित सार्वजनिक दुर्गा पूजा के रूप में जानी जाती है।
नासिक सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति गांधीनगर के अध्यक्ष सुजॉय गुप्ता ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि पहले 1954 में जब दुर्गा पूजा शुरू की गई थी तो यह एक छोटे स्तर पर थी, लेकिन इसमें लगातार विस्तार होता गया और अब इसने भव्य रूप ले लिया है। आगे भी इसका विस्तार देखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इन चार दिनों में लगभग एक लाख श्रद्धालु इसका आनंद उठाते हैं। यहां पर रोज प्रसाद और महाप्रसाद मिलता है। इसके साथ ही रोजाना रात्रि में कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। यहां पर पूजा 72 साल से हो रही है, इसलिए इसका एक विशेष महत्व हो गया है।
सुजॉय गुप्ता ने कहा कि भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए जाते हैं, किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो, इसका विशेष ध्यान दिया जाता है। हमारी समिति के सदस्य लगातार लोगों के संपर्क में रहते हैं और कोई भी समस्या होने पर उसे दूर करते हैं।
उन्होंने कहा कि बंगाली समाज में जैसे पूजा के अंतिम चार दिन संतमी, अष्टमी, नवमी और दशमी होते हैं, वैसे ही चार दिन हमारे यहां भी होते हैं। नासिक से जितने भी बंगाली लोग जुड़े हैं, वे यहां पर बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। इससे यहां की पूजा का आयोजन और अधिक विशेष हो जाता है।


