पालतू श्वान ने मेरी और मेरे पिता की जान बचाई
कुत्तों के प्रेम की हमारे घर में अद्भुत कहानी है। जब पहला कुत्ता हमने पाला था उसको ब्लैकी कहा जाता था

इस समय कुत्तों की चर्चा पूरे देश में हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे को अपने हाथों में लिया है। हमने और हमारे परिवार ने एक प्रतिज्ञा की थी कि अब हम कुत्तों को नहीं पालेंगे। इसका कारण था कि हमारे परिवार ने दो कुत्तों की मौत देखी थी। मौत अत्यधिक भयावह और डरावनी थी। इसके बाद हम लोगों ने तय किया था कि अब कुत्तों को नहीं पालेंगे। परंतु एक दिन हमारी दोनों पोतियां पास के एक मंदिर में गई हुई थीं। वहां उन्होंने दो अत्यधिक सुंदर नवजात कुत्तों को देखा। उन्होंने हमारी प्रतिज्ञा को तोड़ दिया और उन दोनों पिल्लों को घर पर ले आए। हम लोग बहुत नाराज हुए कि तुमने यह काम बिना पूछे कैसे किया। दोनों बच्चियों की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने कहा कि इन दोनों नवजात शिशुओं को पालने की जिम्मेदारी हम लेते हैं। हमें उनके सामने झुकना पड़ा। पर यह तय हुआ कि इन दोनों कुत्ते के बच्चों को हम अपने घर में नहीं रखेंगे। घर के बाहर एक छोटी सी झोपड़ी बना दी गई, जिसमें ये दोनों पिल्ले रहने लगे।
कुछ दिनों के बाद दोनों पिल्लों में से एक को दुर्लभ बीमारी हो गई और वह खून की उल्टी करने लगा। हमको दया आई और हमने उसको अपने बरामदे में रख लिया। इस तरह हमारी प्रतिज्ञा का पहला चरण टूट गया। कुछ दिन के बाद वह बीमार पिल्ला चल बसा। उसके बाद परिवार ने फैसला लिया कि देखो शायद इसको ठंड के कारण यह बीमारी हुई। इसलिए हमने दूसरे पिल्ले को भी बरामदे में रख लिया और यह तय किया कि इसको बरामदे में ही रखना और घर के भीतर नहीं आने देना है।
फिर धीरे-धीरे वह पिल्ला अच्छी हरकतें करने लगा और उसकी अदाओं की वजह से वह धीरे-धीरे घर के अंदर प्रवेश करने लगा। इस समय वह सुखी है और सुंदर है। हमारी प्रतिज्ञाओं को पूरी तरह से तोड़ने में उसने सफलता पाई। वह अद्भुत है। जब भी कोई मेहमान हमारे घर आते हैं तो उसकी आदत की चर्चा उनसे की जाती है। एक और उसकी आदत है कि जब कोई मेहमान आता है तो वह उसे आने देता है और जब वह मेहमान जाने लगता है तो वह कभी उसके कपड़े पकड़कर रोकता है कभी पैर पकड़कर रोकता है। इसके अलावा हमारे घर दो लोग ऐसे हैं जो प्रतिदिन आते हैं। उनके आने पर वह इतना भौंकता है कि हमें समझ में नहीं आता कि इनसे इसकी क्या दुश्मनी है। परंतु उसकी दुश्मनी डेढ़-दो साल होने के बाद भी कायम है।
कुत्तों के प्रेम की हमारे घर में अद्भुत कहानी है। जब पहला कुत्ता हमने पाला था उसको ब्लैकी कहा जाता था। ब्लैकी को गाजर पसंद थी, मूली पसंद थी। वह चालाकी से इतना भरपूर था कि वह रेफ्रिजरेटर में से मूली निकाल कर उसे खाने के बाद रेफ्रिजरेटर को बंद कर देता था। उसकी हमारे परिवार के साथ वफादारी अद्भुत थी। एक दिन मैं वॉशबेसिन के पास खड़ा होकर ब्रश कर रहा था। मैं थोड़ी दूर था। वह लगातार भौंक रहा था। मैंने सोचा कि जरूर कुछ बात होगी। मैंने देखा कि वॉशबेसिन की नीचे एक काला नाग लिपटा हुआ था। मतलब यह है कि उसने मुझे संभवत: बचा लिया। हो सकता था कि वह साँप मुझे काट लेता। मेरे बंग्ले के बाहर वाला हिस्सा जिसे सर्वेंट क्वार्टर कहा जाता है उसमें एक नेपाली परिवार रहता था। एक दिन रात को बहुत बारिश हो रही थी और ब्लैकी लगातार भौंक रहा था। हमने जब उसके भौंकने को इग्नोर किया तब वह बिस्तर के उपर चढ़ गया। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि कुछ बात जरूर है। मेरी पत्नी किचन में गईं और सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाला जो नेपाली परिवार था वह भी रसोई घर में समय देता था। मेरी पत्नी ने कहा कि नेपाली महिला बहुत चीख रही है और सहायता की गुहार कर रही है। हम दोनों उसके कमरे में गए और देखा कि उसका पति (नेपालियों का एक विशेष हथियार से) उसको मार रहा था। मैंने उसको छुड़ाने की कोशिश की पर वह इतना मजबूत था कि मैं उस महिला को छुड़ा नहीं सका। मैंने और मेरे पुत्र ने डिसाइड किया कि पुलिस स्टेशन जाकर पुलिस को लाना चाहिए। पुलिस वाला इतना समझदार था कि हमारे साथ आ गया और उस नेपाली को उसके हथियार समेत थाने ले गया। अगर ब्लैकी उस समय लगातार भौंकता नहीं तो उस रात शायद मेरे घर में एक महिला की मृत्यु हो जाती।
वह समय गैस त्रासदी का था। लोगों को सलाह दी गई थी कि बची हुई गैस लीक की जानी है और लोगों से अपील की गई थी कि वह अगर चाहें तो भोपाल को छोड़ कर कहीं जा सकते हैं। उस समय प्रसिद्ध पूर्व आईएस अधिकारी बुच साहब चुनाव लड़ रहे थे और चुनाव क्षेत्र था बेतूल। हम 45 बंग्ले में रहते हैं। सारे 45 बंग्ले के लोग घरों को छोड़कर चले गए थे या अपने बच्चों को बाहर भेज दिया था। मैंने भी अपने बच्चों को मेरे गांव भेज दिया था और मेरी पत्नी को अकेले रहना पड़ा था। मेरी पत्नी ने मुझसे कहा था कि आप जाओ और बुच साहब की सहायता करो मैं अकेले रह लूंगी और जब मैं लौट कर आया तो मेरी पत्नी ने बताया कि ब्लैकी मेरी ऐसी रखवाली कर रहा था जैसे कोई प्रधानमंत्री की रखवाली कर रहा हो। उसे शायद यह महसूस हुआ कि मैडम की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। इस तरह की उसकी अनेक घटनाएं थीं जो हमें प्रभावित करती थीं।
इसके पूर्व कुत्तों से प्यार करने की आदत मेरे पिताजी की भी थी। वे पुलिस में थे और एक हत्याकांड के केस में उन्हें हत्यारों का पता लगाना था। उस समय उन्होंने एक कुत्ते को पाल रखा था। एक दिन रात को वह लगातार भौंक रहा था। तब मेरी मां ने उनसे कहा कि जरूर कुछ बात है। तब वे उठे और देखा कि बंगले की छत से कुछ व्यक्ति भीतर घुसने की कोशिश कर रहे थे और भीतर कूदने ही वाले थे। परंतु उनके कुत्ते ने उन्हें बचा लिया। उन्होंने उन लोगों का पीछा किया और अपनी जान बचाली। इस घटना के बाद मेरे परिवार के लोगों ने इस कुत्ते का नाम शंकर रखा। शंकर जो हर किस्म का जहर पीने की क्षमता रखते हैं, शंकर भगवान। उसके बाद हमारे पिताजी ने उनके पुत्रों का नाम में शंकर जोड़ा। सबसे बड़े पुत्र का नाम उमाशंकर, बीच के पुत्र का नाम हरिशंकर और मेरा नाम जो सबसे छोटा था लज्जाशंकर रखा। जब कोई उनसे पूछता था कि आपके तीनों पुत्रों के नाम में शंकर जुड़ा हुआ है तब वह यह पूरी कहानी उनको सुनाते थे।
अब कुत्तों के खिलाफ एक मुहिम चल रही है कि पागल कुत्तों को इंजेक्शन देकर मार दिया जाए। पता नहीं यह सही उपाय है कि नहीं। परंतु मेरा सुझाव यह है कि इन कुत्तों की अच्छी आदतों को मद्देनजर रखते हुए पूरी दुनिया में एक परिवार को एक कुत्ता पालने का आदेश दिया जाए। इस तरह इन पर जो खर्च हो रहा है वह भी बचेगा और सारी दुनिया में जैसे लोग गायों को पालने की जिद करते हैं वैसे ही कुत्तों को भी पालेंगे। यह काम संयुक्त राष्ट्र संघ को दिया जा सकता है।


